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खून चूसना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है

जैसाकि हम सभी जानते हैं कि मच्छर खून चूसते हैं।बरसात के मौसम में गंदगी के कारण इनकी संख्या और भी बढ़ जाती है,ये हमें और भी पीड़ा पहुंचाने लगते हैं।कुछ समय पहले की बात है मच्छरों से पीड़ित कुछ उपद्रवी आन्दोलनकारी मच्छरों के खून चूसने की क्रिया पर प्रतिबंध की मांग करने लगे।वो "खून मत चूसो कानून" पारित करवाने की जिद पे अड़ गये।तत्कालीन कठमुल्ला भारत सरकार ने उन उपद्रवियों की जिद मानते हुए बिल पास कर दिया।मच्छरों के क्रिया-कलाप पर प्रतिबंध लगा दिया गया।उनकी गिरफ्तारियां होने लगी।उनसे सुरक्षा के लिए मच्छरदानी,ओडोमॉस,मॉर्टीन आदि का व्यापक पैमाने पर प्रयोग किया जाने लगा।
फिर क्या था?जगह-जगह मच्छर सभायें होने लगीं,मच्छर-आन्दोलन होने लगे।एक जगह की मच्छर सभा में मच्छरों के सर्वमान्य वरिष्ठ गांधीवादी नेता ने कहा-"खून चूसना हमारी फितरत है।यह हमारा पेशा है,और इस दुष्ट भारत सरकार ने इसे प्रतिबंधित कर दिया,और वह भी तुच्छ उपद्रवियों के कहने पर।हम आमरण अनशन करेगें।" पूरी सभा जिंदाबाद के नारे गूंज उठी।
दूसरी जगह की सभा में मध्यममार्गी नेता ने कहा-"खून चूसना हमारा धर्म है,ईमान है,जान है,सम्मान है,अभिमान है और हम इसे आसानी से नहीं जाने देगें।"
तीसरी जगह की सभा में गर्मदल के मच्छर नेता ने कहा-"खून चूसना हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और हम इसे लेकर रहेगें,किसी भी कीमत पर।"
शब्दार्थ-
उपद्रवी आन्दोलनकारी-वर्तमान समय के कुछ आन्दोलनकारी,
मच्छर-पूरी नेता बिरादरी,
खून चूसना-आम आदमियों का शोषण,

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Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 31, 2012 at 8:39am
अरुन जी हार्दिक आभार।
Comment by अरुन 'अनन्त' on August 8, 2012 at 11:52am

मित्र बड़ी अच्छी रचना है बधाई स्वीकार कीजिये

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 6, 2012 at 8:35pm
आदरणीया राजेश कुमारी जी सादर आभार।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 6, 2012 at 8:34pm
आदरणीया रेखा बहन जी सादर आभार।
व्यंग क्या है बस कुछ जोड़ी गई पंक्तियां है और वह भी सबकी कृपा से,आशीर्वाद से।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 6, 2012 at 8:32pm
आदरणीय संदीप वाहिद जी सादर आभार। वास्तव में सर जी मुझे भी नहीं पता था कि ये मैं ही लिख रहा हूं।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 6, 2012 at 8:30pm
आदरणीय संदीप भाई पटेल जी सादर आभार।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 6, 2012 at 8:27pm
आदरणीय मापतपुरी सर जी सादर आभार।
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on August 6, 2012 at 8:26pm
आदरणीय अलबेला जी सादर आभार।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 6, 2012 at 7:28pm

बहुत जबरदस्त व्यंग्य हार्दिक बधाई 

Comment by Rekha Joshi on August 6, 2012 at 12:01pm

दूसरी जगह की सभा में मध्यममार्गी नेता ने कहा-"खून चूसना हमारा धर्म है,ईमान है,जान है,सम्मान है,अभिमान है और हम इसे आसानी से नहीं जाने देगें।",सटीक व्यंग,मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें ,आदरनीय त्रिपाठी जी 

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