Comment
प्रिय विन्ध्येश्वरी जी ..
बचपन की निश्छलता और उन्मुक्तता से दूर होते होते इस बड़े होते जाने में क्या हासिल किया आखिर हमने इसकी विवेचना करती अभिव्यक्ति
यह सम्प्रेषण काव्य नहीं है..बहुत सपाटबयानी सी हैं प्रवाह में, अतुकांत में इससे बचना बहुत ज़रूरी है..
शुभेच्छाएँ
हमारी बचपन की सोच, कप्लना की उड़ान, ज्ञान के साथ साथ विस्मृत होती जाती है और बचपन दूर होता चला
जाता है | जब एक व्यक्ति क़ानून पढ़ लेता है तो डरपोक हो जाता है यह सोचकर ऐसा किया तो ये धरा मुझ पर
लग जायेगी | फिर भी बचपन की यादे यदा कदा स्मरण हो आती है, तो सुखद अनुभूति होती है | बधाई
आपका कहन तो बहुत अच्छा है लेकिन नई कविता लिखने के चक्कर में आपने गद्य को अपने ऊपर हावी होने दिया इसलिए गद्य के वाक्य कविता की पंक्तियां बन गए। इस ओर ध्यान दें।
आदरणीय विन्ध्येश्वरी जी सादर, बहुत सुन्दर रचना. सचमुच हम उस बचपन के संसार से दूर कहीं आ गए हैं. जहां हमें छोटी छोटी सी बात पर डर लगता है. बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.
आदरणिय त्रिपाठी जी , बहुत ही सुन्दर //हार्दिक बधाई
बचपन और यौवन का अंतर,समझ और नासमझी का अंतर,आपकी इस रचना में स्पष्ट दृष्टव्य है।यथार्थ के धरातल पर एक उत्कृष्ट रचना ...........बधाई हो।
apne ne hame bachpan ki yaad taja kara di sunder rachan badhai
आदरणिय त्रिपाठी जी , यों तो कविता के भाव बहुत अच्छे हैं ...लेकिन कहीं कहीं गद्य और पद्य में कोई भेद नहीं रह गया है. ..बार ...बार थे .. था
का प्रयोग बहुत खटक रहा है....सुंदर प्रयास के लिये बहुत बधाई . सादर / कुंती .
आ0 त्रिपाठी जी, अतिसुन्दर प्रस्तुति। हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online