जब-जब कालिख सने समय के,
पन्ने खोले जाएंगे
मानवता पर लगे ग्रहण को,
सीधा याद दिलाएंगे।
आफत को जो अवसर मानें,
लाभ कमाने बैठे हैं
अन्तस् को बस मार दिया है,
हठ में अपनी ऐंठे हैं
आज हवा और दवा सब पर,
जिनका पूरा कब्जा है
जान छीनने के कामों को,
ही करने का जज़्बा है।
उनके सारे कर्म आज के,
सदा ही मुँह चिढाएंगे।
जब-जब कालिख सने समय के,
पन्ने खोले जाएंगे।
कुर्सी का लालच कुर्सी का
मद अब जिन पर छाया है
जिनके…
Added by सतविन्द्र कुमार राणा on May 18, 2021 at 5:00pm — No Comments
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