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सुरेश कुमार 'कल्याण''s Blog – May 2016 Archive (6)

कर्तव्य पथ (सुरेश कुमार ' कल्याण '

हमें शूलों पर भी चलना होगा,
कर्तव्य पथ पर बढना होगा।

अंधेरा देख तू खिन्न मत हो,
उजाला देख तू प्रसन्न मत हो,
न जाने फूल सी ये जिन्दगी
कब मुरझा जाए,इसलिए
हमें शूलों पर भी चलना होगा,
कर्तव्य पथ पर बढना होगा।

इन्सान से तू द्वेष न कर,
सच कहता हूँ भगवान से डर,
तुझे इसका फल तो पाना होगा,
'हम हैं राही प्यार के'इसलिए
हमें शूलों पर भी चलना होगा,
कर्तव्य पथ पर बढना होगा।

मौलिक व अप्रकाशित
सुरेश कुमार ' कल्याण '

Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on May 28, 2016 at 10:06am — 2 Comments

राहें (सुरेश कुमार ' कल्याण ')

कंटीली राहों से
सीखा है जीना मैंने,
रात की गहराईयों से
सीखा है पीना मैंने।
बात करता हूं मैं
गुजरे वक्त की,
पत्थरों के पथ पर
पाया है नगीना मैंने।
पत्थरों से टकराकर
पत्थरों पे सिर झुकाया है मैंने।
अपनी विनम्रता की आंच से
पत्थरों को पिघलाया है मैंने।
वो हीरे मिले हों
या वो लोहा था,
सागर की लहरों के बीच
मोतियों को पाया है मैंने।

मौलिक व अप्रकाशित
सुरेश कुमार ' कल्याण '

Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on May 24, 2016 at 7:56am — 6 Comments

मंजिल

मित्रों-सहयोगियो, तुम
रूको तो सही,
भागते हो किधर? कुछ
सुनो तो सही।

आसमां के तारों को,
तुम देखो तो सही।
चांद नजर आएगा,
तुम पहचानो तो सही।

चांद ही मेरी मंजिल है,
कदम बढाओ तो सही।
मंजिल मिल जाएगी हमें,
हिम्मत जुटाओ तो सही।

मौलिक व अप्रकाशित

Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on May 19, 2016 at 5:12pm — 14 Comments

दिहाडी और रोटी

तपिश को कौन समझेगा
जलते शहर की
कुर्सी से जो मतलब ठहरा
विरोध प्रदर्शन धरने हडताल
दिहाडी को निगल गए
नहीं थमेंगे
गरीब को रोटी नहीं मिलेगी।
पहरेदार
सब कठपुतलियां हैं
सफेदपोशों की।
मजबूर
घोडे को लगाम जो लगी है
गरीब ने कहा
चलो गरीबों चलो कंगालो
मरने वालों को लाखों मिलते हैं
मरने चलें
दो-चार दिन का सूतक सही
दिहाडी-रोटी नहीं तो लाखों सही
पीछे वालों की जिंदगी
आराम से गुजरेगी।

मौलिक व अप्रकाशित

Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on May 3, 2016 at 5:16pm — 41 Comments

सूखा सावन

जेठ तपता आषाढ तपता,

सावन भी तपता जा रहा,

जेठ की लू सावन में चलें,

समय बदलता जा रहा।



सावन में जब वर्षा होती,

कोयल कू-कू गाती थी,

मेंढक टर्र-टर्र करते थे,

बहारें राग सुनाती थी।



शीतल फुहारें झर-झर कर,

माथे से टकराती थी,

नई स्फूर्ति तन-मन में,

एकाएक भर जाती थी।



इंद्रधनुष के सात रंग,

जब याद मुझे वो आते हैं,

तीजों के त्योहार को

ताजा तभी कर जाते हैं।



इस सावन को नजर लग गई,

सावन तपता जा… Continue

Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on May 2, 2016 at 4:30pm — 6 Comments

नई राहें

नई-नई राहें होंगी

नए-नए सहारे होंगे।

सूर्योदय से पहले

पक्षी चहचहा रहे होंगे

छोड कर निज नीड

नई तमन्नाओं के साथ

विचरण कर रहे होंगे।

नई-नई राहें होंगी

नए-नए सहारे होंगे।

हम जहाँ भी जाएंगे

तमन्नाओं की राहों पर

कुछ हमसे खुश

कुछ हमसे खफा होंगे

नई तमन्नाओं के साथ

नए इरादे भी बुलन्द होंगे।

नई-नई राहें होंगी

नए-नए सहारे होंगे।

पहाड़ों में-वादियों में

मैदानों में-घाटियों में

कल्याण का ही सहारा होगा

दिलों… Continue

Added by सुरेश कुमार 'कल्याण' on May 1, 2016 at 9:02am — 4 Comments

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