For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नई-नई राहें होंगी
नए-नए सहारे होंगे।
सूर्योदय से पहले
पक्षी चहचहा रहे होंगे
छोड कर निज नीड
नई तमन्नाओं के साथ
विचरण कर रहे होंगे।
नई-नई राहें होंगी
नए-नए सहारे होंगे।
हम जहाँ भी जाएंगे
तमन्नाओं की राहों पर
कुछ हमसे खुश
कुछ हमसे खफा होंगे
नई तमन्नाओं के साथ
नए इरादे भी बुलन्द होंगे।
नई-नई राहें होंगी
नए-नए सहारे होंगे।
पहाड़ों में-वादियों में
मैदानों में-घाटियों में
कल्याण का ही सहारा होगा
दिलों में हम सबके
हिन्दुस्तान प्यारा होगा।
नई-नई राहें होंगी
नए-नए सहारे होंगे।

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 476

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on May 2, 2016 at 8:54am
आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी रचना पर अपने कीमती विचार देने के लिए हार्दिक धन्यवाद आप लोगों की मेहरबानी से सीख रहा हूँ लिखना धीरे धीरे
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on May 2, 2016 at 8:51am
परम श्रद्धेय समर कबीर जी हौसला देने के लिए हार्दिक धन्यवाद
आप यूँ ही मार्गदर्शन करते रहें हम कोशिश करते रहेंगे बहुत बहुत धन्यवाद

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on May 2, 2016 at 2:11am

आदरणीय सुरेश कुमार जी, कविता का बढ़िया प्रयास हुआ है. इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई. यहाँ आपको काव्य की विभिन्न विधाओं पर बहुत बढ़िया आलेख और प्रस्तुत हुई रचनाएँ मिल जायेंगी. उन्हें भी एक बार पढ़ जाइएगा. सादर 

Comment by Samar kabeer on May 1, 2016 at 4:33pm
जनाब सुरेश कुमार कल्याण जी आदाब,बहुत अच्छी लगी आपकी कविता,बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
14 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
15 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
15 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
16 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
18 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
21 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service