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मरीज के
मर्ज का इल्जाम
मरीज पर आ रहा है
आश्चर्य नहीं
इस दौर में
मरीज को
मरीज
खींचे जा रहा है ।
क्या
किसी की
नजर में
बीमार
बीमार है?
मगर
स्वस्थ दिखने वाले
कितने
लाचार हैं ।
जन-जन
कण-कण
समस्त पर्यावरण
कौन
किसको
दवा दे?
क्योंकि
चिकित्सक और दवाखाना
दोनों
बीमार हैं।

सुरेश कुमार ' कल्याण '
मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 7, 2016 at 11:00am
आदरणीया कल्पना भट्ट जी रचना अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार । सादर ।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 7, 2016 at 11:00am
श्रद्धेय समर कबीर साहब आदाब । रचना की प्रशंसा और अपने कीमती विचार देने के लिए हार्दिक आभार । सादर ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 6, 2016 at 9:40pm

इस सुंदर रचना के लिए बधाई आदरणीय |

Comment by Samar kabeer on October 6, 2016 at 8:43pm
जनाब सुरेश कुमार 'कल्याण'जी आदाब,बहुत उम्दा कविता लिखी आपने, इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 6, 2016 at 8:01pm
आदरणीय श्री सुशील सरना जी रचना को पसंद करने और सम्मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद । सादर ।
Comment by Sushil Sarna on October 6, 2016 at 4:51pm

 वाह वर्तमान व्यवस्था पर सटीक प्रहार करती एक सुंदर रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय। 

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 6, 2016 at 3:42pm
आदरणीय श्री शिज्जु शकूर जी रचना को मान देने के लिए हार्दिक आभार।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 6, 2016 at 10:33am

सुंदर रचना है आ. सुरेश कुमार 'कल्याण' जी बहुत बहुत बधाई

कृपया ध्यान दे...

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