For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Rahila's Blog – March 2017 Archive (5)

रियल एंग्री बर्ड (लघुकथा)राहिला

"कुछ भी कर लो इनके लिए ,लेकिन इन्हें शिकायतें ही शिकायतें हैं हर वक़्त ।किसी काम से संतुष्ट ही नहीं होती।परेशान आ गयी हूँ जानकी!"

"इसमें परेशानी जैसी तो कोई बात नज़र नहीं आती ।तू काम किया कर ढंग से।ये हलवे में मिठास जरा कम है।"

वह इत्मीनान के साथ हलवे की कटोरी साफ़ करते हुए बोली।

" मज़ाक मत कर,1मैं सीरियस हूँ ।

"मज़ाक..!वह तो मैं भी नहीं कर रही हूँ।अलबत्ता तू जरूर बेतुकी समस्या का रोना लेकर इस हसीन दोपहर का सत्यानाश कर रहीं है?"उसने मुंह में चिप्स डालते हुए कहा।

"अच्छा...!… Continue

Added by Rahila on March 27, 2017 at 10:00pm — 9 Comments

ससुराल की पहली होली(हास्य कविता)राहिला

करेंगें दम से खूब धमाल,

इक दिन आगे पहुंचे ससुराल।

पहली होली संग साली के,

सोच के हो गये गुलाबी गाल।।



हुयी रात जो घोड़े बेचे,

सो गये हम ,चादर को खेंचे।

ले कालौंच,खड़िया और गेरू,

बैठी चौकड़ी,खाट के नीचे।



हो गयी शुरू ,रात से होली ,

इधर अकेले ,उधर हुल्लड़ टोली,

गब्बर सिंह बन,देख के खुद को

भूल गये सब हंसी ठिठोली ।



खूब उड़ा फिर अबीर ,गुलाल

मुंह काला ,अंग पीला लाल,

पकड़ ,पकड़ के ऐसा पोता

उड़ गये तोते देख धमाल।।…

Continue

Added by Rahila on March 21, 2017 at 2:00pm — 14 Comments

फटी बिवाई(लघुकथा)राहिला

"सुनैना की माँ!ज़िंदगी में पहली बार आदमी पहचानने में चूक हो गयी ।मैंने बड़ा भला लड़का समझा था उसे ।लेकिन यह तो ,अव्वल दर्जे का पढ़ालिखा गंवार निकला।अगर पता होता ऐसा बज्रमूर्ख होगा ।तो कतई अपनी बच्ची नहीं ब्याहता ऐसे लड़के से।" पछताते हुए ठाकुर बलदेव का गुस्सा अपने आप में नहीं समा रहा था।

"आप शांत हो जाईये ।ऐसे मसले ठंडे दिमाग़ से सुलझाए जाते हैं। आप कुंअर साहब को बुलवा भेजिए ,फिर पूछते,समझाते है क्या बात है?वैसे तो हमने मान पान में कोई कसर नहीं रखी ।फिर बिटिया को इस तरह परेशान और मारपीट करने का… Continue

Added by Rahila on March 15, 2017 at 11:28am — 4 Comments

पर्दा(लघुकथा)राहिला

मंदिर के पीछे मिले लावारिस नवजात शिशु को लेकर आज पंचायत जुटी थी। पंचायत ने अपने स्तर से बहुत पड़ताल की, परन्तु कोई सुराग हाथ नहीं लगा। कोई कह रहा था, ‘छोरी तो बहुतेरी मिलीं लावारिस, लेकिन आज ये छोरा?’ किसी ने कहा, ‘ खूब जान पड़ता है, जरूर नाजायज रहा होगा।’ जितने मुँह उतनी बातें। अब पंचायत चाहती थी कि यदि कोई दम्पति बच्चे को गोद लेना चाहे तो मामला यहीं निपट जाए। वर्ना बच्चा पुलिस को तो सौंपना ही था।

"सरपंच जी ! मैं और मेरी घरवाली यशोदा इस बच्चे को गोद लेना चाहे हैं।"

पंचों को प्रणाम… Continue

Added by Rahila on March 6, 2017 at 12:18pm — 5 Comments

दिल्ली दूर है(लघुकथा)राहिला

एक बेहद पिछड़े ,सुविधाओं से कोसो दूर गाँव में अचानक कुपोषण से हुयी बच्चों की अकाल मृत्यु ने प्रशासन को गहरी नींद से जगा दिया। और इस दिशा में चल रही तमाम योजनाओं की जैसे कलई खुल गयी।आननफानन में शहर से चिकित्सकों का दल नाक मूँदे वहां पंहुचा । कई नये चिकित्सकों का तो ऐसे गाँव से ये पहला परिचय था।सब चौपाल पर इकठ्ठे हो चुके थे।

"देखिये!आप सबसे पहले ये जान लें कि कुपोषण की मुख्य वजह क्या हैं?जिसके चलते यह दुखद घटना हुयी है।"एक नई महिला चिकित्सक धारा प्रवाह बोलते हुए ,टंगे बड़े से पोस्टर पर लिखी… Continue

Added by Rahila on March 4, 2017 at 11:38am — 9 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आदरणीय नीलेश नूर भाई, आपकी प्रस्तुति की रदीफ निराली है. आपने शेरों को खूब निकाला और सँभाला भी है.…"
1 hour ago
अजय गुप्ता 'अजेय posted a blog post

ग़ज़ल (हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है)

हर रोज़ नया चेहरा अपने, चेहरे पे बशर चिपकाता है पहचान छुपा के जीता है, पहचान में फिर भी आता हैदिल…See More
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - वो कहे कर के इशारा, सब ग़लत ( गिरिराज भंडारी )
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं हार्दिक बधाई।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। इस मनमोहक छन्दबद्ध उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
" दतिया - भोपाल किसी मार्ग से आएँ छह घंटे तो लगना ही है. शुभ यात्रा. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"पानी भी अब प्यास से, बन बैठा अनजान।आज गले में फंस गया, जैसे रेगिस्तान।।......वाह ! वाह ! सच है…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"सादा शीतल जल पियें, लिम्का कोला छोड़। गर्मी का कुछ है नहीं, इससे अच्छा तोड़।।......सच है शीतल जल से…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तू जो मनमौजी अगर, मैं भी मन का मोर  आ रे सूरज देख लें, किसमें कितना जोर .....वाह…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"  तुम हिम को करते तरल, तुम लाते बरसात तुम से हीं गति ले रहीं, मानसून की वात......सूरज की तपन…"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहों पर दोहे लिखे, दिया सृजन को मान। रचना की मिथिलेश जी, खूब बढ़ाई शान।। आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service