For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

***लंबे तार***(लघुकथा)राहिला

घर से एक घंटे पहले निकलने के बावजूद आज फिर वह आधा घंटा देर से विद्यालय पंहुचा ।जबकि ऑटो स्टैंड से विद्यालय की दूरी मात्र पंद्रह मिनिट की थी । और जैसे ही उसने स्कूल में क़दम रखा,सामने कमिश्नर साहब को देख कर उसका हलक सूख गया ।
" घड़ी देखिये जरा..,क्या समय हो रहा है?ये आपके विद्यालय आने का समय है?"साहब के कहने अंदाज ऐसा था कि ग़ाज गिरी समझो।
"जी...जी!बस आज ही देर हो गयी।"उसने हकलाते हुए अपना बचाव करने की कोशिश की।
"झूठ बोलते हो ,सारे गाँव वालों ने शिकायत की है ।आप रोज ही देर से आते हो।"उन्होंने जैसे ही उसे लताड़ना शुरू किया। वह समझ गया कि,आज बात इन बातों से निपटने वाली नहीं ।खैर इसी में है कि जो सही बात है वही कह दी जाय।फिर जो भी हो।वह तुरंत हाथ जोड़ कर याचक की मुद्रा में आ गया।
"क्या करूं साहब जी!मुझे लगभग रोज इन पुलिस वालों की वजह से देरी हो जाती है।"
"क्या बकबास करते हो,पुलिस वालों को तुमसे क्या बैर ?"
वह ऐसी अटपटी बात सुन कर और भड़क उठे।
"साहब !यकीन माने ,मैं रोज समय से काफी पहले ऑटो में आकर बैठ जाता हूँ लेकिन जब तक ऑटो के तीनों तरफ और छत पर सवारियाँ नहीं लटक ,बैठ जातीं ड्राइवर टस से मस नहीं होता ।"
"तो....यार !कहाँ के तार कहाँ जोड़ रहे हो?वह अब और खीजे।
"तो क्या है ना साहब जी! ऐसे अतिरिक्त भार ले जा रहे ऑटो को जब पुलिस वाले कभी रोकते नहीं ,तो आपको बताया ना!,ऑटो वाला भी अतिरिक्त सवारियों के बगैर हिलता नहीं ।बस इसलिये मुझे रोज विद्यालय आने में देर हो जाती है।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 812

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahila on February 16, 2017 at 8:02pm
बहुत,बहुत शुक्रिया आदरणीय सुनील जी!रचना की समीक्षा के लिए!यहाँ वक़्त का जिक्र केवल इस लिए किया ताकि इस बात पर रौशनी डाल सकूं की वक़्त से पहले नौकरी शुरू करने के बावजूद किस तरह एक बेकसूर सजा पाता है।सादर
Comment by Rahila on February 14, 2017 at 9:14pm
आदरनीय उस्मानी जी!आपका किसी भी रचना की समीक्षा का ढंग एकदम निराला है । आपकी टिप्पणी सदेव मार्गदर्शन का कार्य करती है।बहुत आभार रचना को समय देने के लिए। सादर
Comment by Rahila on February 14, 2017 at 9:10pm
आदरणीया राजेश दीदी! रचना को वक़्त देने और पसंद करने के लिए बहुत ,बहुत शुक्रिया। सादर
Comment by Rahila on February 14, 2017 at 9:08pm
प्रिय नीता दी!बहुत शुक्रिया रचना को वक़्त देने और पसंद करने के लिए। सादर
Comment by Rahila on February 14, 2017 at 9:03pm
आदरणीय आरिफ साहब !बहुत शुक्रिया रचना को वक़्त देने और पसंद करने के लिए। सादर
Comment by Rahila on February 14, 2017 at 9:02pm
आदरणीय विजय सर जी!रचना की समीक्षा हेतु समय देने के लिए और हौसला अफजाई के लिए बहुत,बहुत शुक्रिया ।सादर
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on February 14, 2017 at 6:53pm
अच्छे भाषा-शिल्प में एक साथ तीन-चार समस्याएँ बाख़ूबी उठाती बढ़िया प्रस्तुति के लिए सादर हार्दिक बधाई आपको आदरणीय राहिला जी। शिक्षक की समस्या, ऑटो वाले की समस्या, सवारियों की व पुलिस-ऑटो-चालक-डील की समस्या !!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 13, 2017 at 8:57pm

मैं भी नीता जी की बात से सहमत हूँ बहुत बढिया विषय पर लिखा है आपने बहुत शानदार लघु कथा हुई दिल से बधाई प्रिय राहिला जी 

Comment by Nita Kasar on February 13, 2017 at 8:07pm
बहाने तो कभी भी बनाये जा सकते है।पर हकीकत तो यही है।पुलिस और आटो वालों की सेटिंग सब जानते है ।बढ़िया कथा है आद० राहिला जी ।
Comment by Mohammed Arif on February 13, 2017 at 6:25pm
आदरणीया राहिला जी आदाब,सशक्त प्रस्तुति । बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
8 hours ago
anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service