For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Afroz 'sahr'
  • Male
  • ujjain. M.P.
  • India
Share on Facebook MySpace

Afroz 'sahr''s Friends

  • बृजेश कुमार 'ब्रज'
  • amod shrivastav (bindouri)

Afroz 'sahr''s Groups

 

Afroz 'sahr''s Page

Latest Activity

Afroz 'sahr' updated their profile
Jul 7, 2023
Afroz 'sahr' and amod shrivastav (bindouri) are now friends
Jun 19, 2020

Profile Information

Gender
Male
City State
ujjain
Native Place
ujjain
Profession
contractor
About me
contractor

Afroz 'sahr''s Blog

ग़ज़ल निकल गए आँसू,,,,

   2122  1212  22

दफ़अतन जो निकल गए आँसू।

सारे मंज़र बदल गए आँसू।।

लाख की कोशिशें छुपाने की।

राज़ दिल का उगल गए आँसू।।

इक ख़ुशी ने मुझे पुकारा है।

ये ख़बर सुन के जल गए आँसू।।

ख़ुश्क दामन तुझे बताऊँ क्या।

वो सबब जो सँभल गए आँसू।।

इत्तिफ़ाकन ही ख़ुश्क थीं पलकें।

इंतिकामन मचल गए आँसू।।

इक तबस्सुम जो आगया लब पर।

मारे ग़म के पिघल गए आँसू।।

कौन सा पल…

Continue

Posted on December 24, 2017 at 11:00am — 11 Comments

ग़ज़ल,,,,इशारों का साथ दो,,,,,,,

221/2121/1221/212



है इख़्तियार तुमको बहारों का साथ दो।

लेकिन कभी तो दर्द के मारों का साथ दो।।



गर हैं निजात के लिए दरकार नेकियाँ।

डोली उठाने वाले कहारों का साथ दो।।



बाहम वो मिल सके न जो सारी हयात में।

मजबूर बेक़रार कनारों का साथ दो।।



तुम इन उदासियों की रिदाओं को चीर कर।

दिलकश हसीन शौख़ नजारों का साथ दो।।



ये वक़्त का तकाजा़ है दानाइ भी यही।

रक्खो ज़ुबान बंद इशारों का साथ दो।।



मिट्टी के ढेर हैं ये फ़कत और… Continue

Posted on December 4, 2017 at 1:36pm — 20 Comments

ग़ज़ल,,,,भीगी पलकों पे कई ख़्वाब,,

2122/1122/1122/22/112



अश्क़ आँखों में यूँ बेताब हुआ करते हैं

भीगी पलकों पे कई ख़्वाब हुआ करते हैं।



जिनकी क़ीमत ही नहीं लोगों की नज़रों में कोई

रब की नज़रों में वो सुरख़ाब हुआ करते हैं।



जो भी रखते हैं बुज़ुर्गों की रिवायत का भरम

लोग दुनिया में वो नायाब हुआ करतें हैं।



ख़ुश्क फूलों की तरह मुझको समझने वालों

गुल में ख़ुश्बू के कई बाब हुआ करते हैं।



तुहमतें गैरों पे साज़िश की लगाने वाले

तेरे दुश्मन तेरे एहबाब हुआ करते… Continue

Posted on November 7, 2017 at 1:00pm — 20 Comments

ग़ज़ल,,,,में अपनी हसरतें,,,,,

1222/1222/1222/1222



जो सच हो ही नहीं सकता वो सपना छोड़ आया हूँ

में अपनी हसरतें सहरा में तंहा छोड़ आया हूँ।



ख़िरद ने जबसे जोड़ा है हक़ीकत से मेंरा रिश्ता

तख़य्युल को ख़लाओं में भटकता छोड़ आया हूँ।



ज़रूरत मुझको ले कर आ गई परदेस में लेकिन

में अपने घर में इक पुतला अना का छोड़ आया हूँ।



सबब जिसके हुए जाते थे अपने ही मेंरे दुश्मन

वो चाँदी छोड़ दी मैंने वो सोना छोड़ आया हूँ।



वो इक लम्हा जो गफ़लत में तेरी चाहत के बिन… Continue

Posted on October 17, 2017 at 7:30pm — 10 Comments

Comment Wall (1 comment)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 2:29pm on September 12, 2017,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

ग़ज़ल सीखने एवं जानकारी के लिए....

 ग़ज़ल की कक्षा 

 ग़ज़ल की बातें 

 

भारतीय छंद विधान से सम्बंधित जानकारी  यहाँ उपलब्ध है.

|

|

|

|

|

|

|

|

आप अपनी मौलिक व अप्रकाशित रचनाएँ यहाँ पोस्ट कर सकते है.

और अधिक जानकारी के लिए कृपया नियम अवश्य देखें.

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतुयहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे.

 

ओबीओ पर प्रतिमाह आयोजित होने वाले लाइव महोत्सव, छंदोत्सव, तरही मुशायरा व लघुकथा गोष्ठी में आप सहभागिता निभाएंगे तो हमें ख़ुशी होगी. इस सन्देश को पढने के लिए आपका धन्यवाद.

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा षष्ठक. . . . आतंक
"वहशी दरिन्दे क्या जानें, क्या होता सिन्दूर .. प्रस्तुत पद के विषम चरण का आपने क्या कर दिया है,…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"अय हय, हय हय, हय हय... क्या ही सुंदर, भावमय रचना प्रस्तुत की है आपने, आदरणीय अशोक भाईजी. मनहरण…"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मैं अपने प्रस्तुत पोस्ट को लेकर बहुत संयत नहीं हो पा रहा था. कारण, उक्त आयोजन के दौरान हुए कुल…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय भाई शिज्जु शकूर जी सादर, प्रस्तुत घनाक्षरी की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. 16,15 =31…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"काफ़िराना (लघुकथा) : प्रकृति की गोद में एक गुट के प्रवेश के साथ ही भयावह सन्नाटा पसर गया। हिंदू और…"
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"मनचाही सभी सदस्यों नमन, आदरणीय तिलक कपूर साहब से लेकर भाई अजय गुप्त 'अजेय' सभी के…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपका कहना सही है, पुराने सदस्यों को भी अब सक्रिय हो जाना चाहिए।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"<span;>आदरणीय अजय जी <span;>आपकी अभिव्यक्ति का स्वागत है। यह मंच हमेशा से पारस्परिक…"
6 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सभी साथियों को प्रणाम, आदरणीय सौरभ जी ने एक गंभीर मुद्दे को उठाया है और इस पर चर्चा आवश्यक है।…"
8 hours ago
KALPANA BHATT ('रौनक़') replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"विषय बहुत ही चुनकर देते हैं आप आदरणीय योगराज सर। पुराने दिन याद आते हैं इस आयोजन के..."
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Ashok Kumar Raktale's blog post मनहरण घनाक्षरी
"आदरणीय अशोक रक्ताले सर, प्रस्तुत रचना के लिए बधाई स्वीकार करें।तीसरी और चौथी पंक्तियों को पढ़ते समय…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सुशील सरना जी, अच्छी रचना है सादर बधाई आपको"
9 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service