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आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार बहत्तरवाँ आयोजन है.

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  

21 अप्रैल 2017 दिन शुक्रवार से 22 अप्रैल 2017 दिन शनिवार तक
इस बार छन्दों में पुनः उन्हीं छन्दों को दुहरा रहे हैं, जिन पर पिछले आयोजन में हमने काम किया है. अर्थात,  सार छन्द और कुण्डलिया छन्द को रखा गया है. -

यह जानना रोचक होगा, कुण्डलिया छन्द दोहा छन्द और रोला छन्द का समुच्चय ही है !  

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.

इन छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना करनी है. 

प्रदत्त छन्दों को आधार बनाते हुए नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.  

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो दोनों छन्दों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.   

 

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

कुण्डलिया छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें 

सार छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें 

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

[प्रस्तुत चित्र निजी एलबम से है]

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट :

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 21 अप्रैल 2017 दिन शुक्रवार से 22 अप्रैल 2017 दिन शनिवार तक यानी दो दिनों केलिए रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें। 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  8. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
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Replies to This Discussion

आदरणीय सुरेश जी, प्रदत्त चित्र को परिभाषित करते सुन्दर कुंडलिया छंद रचे हैं आपने. बाक़ी गुनीजन कह ही चुके हैं. इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. सादर 

कुण्डलिया छंद
-----------------
बूचड़खाने बंद हैं, माँस नहीं अब तात।
कुत्ते से कुत्ता कहे, चुपके से यह बात।।
चुपके से यह बात, गुजारा होगा कैसे।
मोदी जी ने पास, नहीं छोड़े हैं पैसे।।
बाबाओं का राज, पडे़ंगे चने चबाने।
लेंगें शाकाहार, बंद अब बूचड़खाने।। (कृपया कोई विवादास्पद मुद्दा अथवा किसी राजनैतिक व्यक्ति का नाम मत दें)
2-
लाए हो तुम क्या खबर, बतलाओ तत्काल।
श्वान पूछता दूत से, दिल्ली के क्या हाल।।
दिल्ली के क्या हाल, रुकी क्या पत्थरबाजी।
बत्ती कर दी बंद, हुए सब कैसे राजी।।
और कहो कुछ खास, दौड़ते कैसे आए।
मंदिर तीन तलाक, खबर इसकी कुछ लाए।।
(मौलिक व अप्रकाशित)

जनाब हरिओम श्रीवास्तव जी आदाब,प्रदत्त चित्र को सार्थक करते बढ़िया कुण्डलिया छन्द रचे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
इस मंच का नियम है कि अपनी रचना में किसी व्यक्ति विशेष का नाम नहीं लिया जाता,अपने पहली कुण्डलिया में एक नाम लिया है जो मंच के नियम के विरुद्ध है ।

प्रदत्त चित्र पर रोचक सामयिक कुण्डलिया ...बहुत खूब ..... हार्दिक बधाई आद० हरी ओम  जी बहुत बहुत बधाई 

मोदी जी के स्थान पर मंत्री जी लिख  सकते हैं 

अब तो संकलन के समय ही लिख पाएंगे बहना ।
रोचक कुण्डलिया हार्दिक बधाई आदरणीय हरिओम जी

आदरनीय हरिओम भाई .. चित्र के भावों को वर्तमान से जोड़ते हुये अच्छी छंद रचना की है ... हार्दिक बधाइयाँ ।

आदरणीय हरिओम भाईजी

दोनों कुंडलियाँ हास्य व्यंग्य और सच्चाई से भरपूर है। हार्दिक बधाई।

उस एक नाम को संशोधन में हटाकर संकलन में स्थापित करने का अनुरोध कर सकते हैं।

आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी सादर, प्रदत्त चित्र से भाव लेकर अच्छा कुण्डलिया छंद रचा है. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. सादर.

आदरणीय हरिओम श्रीवास्तव जी बहुत ही सुन्दर कुण्डलिया छंद  हार्दिक बधाई 

आदरणीय हरिओम जी, बहुत बढ़िया कुण्डलिया छंद लिखे हैं आपने. इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई. बाकी गुनीजन कह ही चुके हैं. सादर. 

ढाई आखर मन बसे, किन्तु मध्य यह भीत
फिर भी राहें ढूंढ ले, यही प्रीत की रीत
यही प्रीत की रीत, एकटक देखें प्राणी
अन्तस् छलका जाए, बंद मुख जिह्वा वाणी
राग द्वेष से दूर, समझ कर पीर पराई
फिर कब होंगे साथ, पूछते आखर ढाई।

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