For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको !

सादर अभिवादन !!

  

’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का यह एक सौ उनसठवाँ योजन है।.   

 

छंद का नाम -  सार छंद

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ - 

21 सितंबर’ 24 दिन शनिवार से

22 सितंबर’ 24 दिन रविवार तक

हम आयोजन के अंतर्गत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.  

सार छंद के मूलभूत नियमों के लिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, कई-एक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के  भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती हैं.

*********************************

आयोजन सम्बन्धी नोट 

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ -

21 सितंबर’ 24 दिन शनिवार से 22 सितंबर’ 24 दिन रविवार तक  रचनाएँ तथा टिप्पणियाँ प्रस्तुत की जा सकती हैं। 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करें.
  4. अपने पोस्ट या अपनी टिप्पणी को सदस्य स्वयं ही किसी हालत में डिलिट न करें. 
  5. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  6. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  7. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. 
  8. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  9. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

विशेष यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com  परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम  

Views: 254

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आ. अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी,छन्नपकैया छंद वस्तुतः सार छंद का ही एक स्वरूप है और इसमे चित्रोक्त भाव आपने प्रस्तुत कर इस तथ्य को रेखांकित करते हुए रचना को नया आयाम प्रस्तुत कर दिया, उल्लेखनीय है। हार्दिक बधाई

सार छंद में चित्रानुकूल भाव

-----

ब्रह्मा जी के आगे कौआ, रोया निज दुख गाया,
इस जग में सब करते नफरत, क्यों पाई ये काया,
दर्द समन्दर जैसा अब तक, हम है सहते आये,
दया कीजिए अब तो हम पर, दया भाव मिल जाये।

ब्रह्मा बोले क्यों रोता है, सबको दुख सुख होता,
कौआ बोला मेरे जैसा, जीव सदा ही रोता।
खुशी न आई मेरे हिस्से, किया अपराध कैसा,
मिली खुशी है सबको जग में, और न कोई ऐसा।

खोली पोथी तब ब्रह्मा ने, देखा अनर्थ भारी,
भूल गया सुख देना इसको, गलती मेरी सारी।
ब्रह्मा बोला तेरे हिस्से, सुख लिखा नहीं भाई,
पर वरदान तुझे देता हूँ , सुख की राह बनाई।

श्राद्ध पक्ष जब जब आयेगा, खूब मान पायेगा,
सबसे पहले हलवा पूड़ी, को तू ही खायेगा।
खुश हुए वरदान पाकर वो, खुशियां खूब मनाई,
तब से श्राद्ध पक्ष में ऐसी, ये रीत चली आई।
— दयाराम मेठानी
(मौलिक एवं अप्रकाशित)

खोली पोथी तब ब्रह्मा ने, देखा अनर्थ भारी,
भूल गया सुख देना इसको, गलती मेरी सारी।
ब्रह्मा बोला तेरे हिस्से, सुख लिखा नहीं भाई,
पर वरदान तुझे देता हूँ , सुख की राह बनाई।// कौए की कथा के माध्यम से चित्रानुकूल बहुत अच्छा सृजन किया है आपने..हार्दिक बधाई आदरणीय मथानी जी

आदरणीय प्रतिभा पांडे जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

आदरणीय दयाराम भाईजी 

पितृ पक्ष में कौएँ के महत्व उसकी पीड़ा  को लेकर सुंदर सार्थक रचना की बधाई।

आदरणीय अखिलेश कृष्ण जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

बाऊजी(गीत..सार छंद)
_____
आज श्राद्ध है बाऊजी का
पंडित है घर आया
 मीठा भोजन रख मुँडेर पर
कौए को ललचाया
_

बाऊजी थे बड़े सयाने, 

 छिप कर मीठा खाते
 आ जाते जो कभी पकड़ में
साफ मुकर भी जाते            
कभी रूठ जाते अम्मा से
कहते मत दो खाना
छोड़ चला जाऊँगा तब तुम
कौआ श्वान जिमाना
_
आज भाग पर अपने देखो
कौआ भी इतराया
_
अम्मा देख रही कौए को
खीर मिठाई खाते
तृप्त हो रहे बाऊजी भी
पंडित जी समझाते
इस दुनियाँ से जाने वाले
चले कहाँ जाते हैं
पंडित मुल्ला अलग अलग घर
उनका बतलाते हैं
_
सत्य बताने उस दुनियाँ से
कौन लौट है पाया
______
मालिक व अप्रकाशित 

 अद्भुत रचना हुई है आदरणीय प्रतिभा जी।  वाह वाह

//

कभी रूठ जाते अम्मा से
कहते मत दो खाना
छोड़ चला जाऊँगा तब तुम
कौआ श्वान जिमाना//
आह आह वाह।। क्या कहने इन पंक्तियों के। मर्मस्पर्शी।
हर घर में होता है ना। किसी बीपी वाले को चटपटा पसंद होता है किसी शुगर वाले को मीठा। और घरवाले उन्हें खाने नहीं देते। वही दृश्य जीवंत कर  दिया आपने और भावनाओं को उद्वेलित। बहुत बधाई आपको इस रचना के लिए।

हार्दिक आभार आदरणीय अजय जी ,आपने रचना के मर्म को समझा सराहा। कोई अपना प्रिय जो खाने का शौकीन हों उन पर पाबंदिया लग जायें तो बहुत दुख होता है।कुछ व्यक्तिगत दर्द मुखर हुआ है इन पंक्तियों में

 

आदरणीया प्रतिभाजी

आपने सच ही कहा है कि अंतिम कुछ वर्षों में स्वास्थ्य की दृष्टि से वर्जित पकवान खाने की इच्छा प्रायः होती है। जाने के बाद पशु पक्षी के माध्यम से उन्हें तृप्त करते हैं\ हार्दिक बधाई सार छंद आधारित गीत के लिए

आदरणीय अखिलेश जी

उत्साहवर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार। 

आदरणीय प्रतिभा पांडे जी, निज जीवन की घटना जोड़ अति सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है, ग़ज़ल अभी और मश्क़ और समय चाहती है। "
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"जनाब ज़ैफ़ साहिब आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें।  घोर कलयुग में यही बस देखना…"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"बहुत ख़ूब। "
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपके सुझाव बेहतर हैं सुधार कर लिया है,…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमित जी बहुत बहुत शुक्रिया आपका इतनी बारीक़ी से समझने बताने और ख़ूबसू रत इस्लाह के लिए,ग़ज़ल…"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"ग़ज़ल — 2122 2122 2122 212 धन कमाया है बहुत पर सब पड़ा रह जाएगा बाद तेरे सब ज़मीं में धन दबा…"
4 hours ago
Zaif replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"2122 2122 2122 212 घोर कलयुग में यही बस देखना रह जाएगा इस जहाँ में जब ख़ुदा भी नाम का रह जाएगा…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। सुधीजनो के बेहतरीन सुझाव से गजल बहुत निखर…"
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाइये।"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, कुछ सुझाव प्रस्तुत हैं…"
6 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"जा रहे हो छोड़ कर जो मेरा क्या रह जाएगा  बिन तुम्हारे ये मेरा घर मक़बरा रह जाएगा …"
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service