For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"OBO लाइव महा उत्सव" अंक १४ (Now Closed with 730 Replies)

आदरणीय साहित्य प्रेमियों

सादर वन्दे,


जैसा कि आप सभी को ज्ञात ही है कि ओपन बुक्स ऑनलाइन पर प्रत्येक महीने के प्रारंभ में "ओबीओ लाईव महा उत्सव" का आयोजन किया जाता है | दरअसल यह आयोजन रचनाकारों के लिए अपनी कलम की धार को और भी तेज़ करने का अवसर प्रदान करता है, इस आयोजन में एक कोई विषय देकर रचनाकारों को उस पर अपनी रचनायें प्रस्तुत करने के लिए कहा जाता है | पिछले १३ कामयाब आयोजनों में रचनाकारों में १३ विभिन्न विषयों बड़े जोशो खरोश के साथ और बढ़ चढ़ कर  कलम आजमाई की है ! इसी सिलसिले की अगली कड़ी में ओपन बुक्स ऑनलाइन पेश कर रहा है:


"OBO लाइव महा उत्सव" अंक  १४   

विषय - "आशा"  
आयोजन की अवधि गुरूवार ८ दिसम्बर २०११ से शनिवार १० दिसंबर २०११ 
.

"आशा" जोकि जीवन का आधार भी है और सकारात्मकता का प्रतीक भी, दरअसल मात्र एक शब्द न होकर एक बहु-आयामी विषय है जिसकी व्याख्या असंख्य तरीकों से की जा सकती है | अत: इस शब्द के माध्यम से अपनी बात कहने के लिए रचना धर्मियों के लिए एक बहुत बड़ा कैनवास उपलब्ध करवाया गया है | तो आईए वर्ष २०११ के अंतिम "ओबीओ लाईव महा उत्सव" में, उठाइए अपनी कलम और रच डालिये कोई शाहकार रचना | मित्रो, बात बेशक छोटी कहें मगर वो बात गंभीर घाव करने में सक्षम हो तो आनंद आ जाए |


महा उत्सव के लिए दिए विषय "आशा" को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते है साथ ही अन्य साथियों की रचनाओं पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते है | उदाहरण स्वरुप साहित्य की कुछ विधाओं का नाम निम्न है: 


  1. तुकांत कविता
  2. अतुकांत आधुनिक कविता
  3. हास्य कविता
  4. गीत-नवगीत
  5. ग़ज़ल
  6. हाइकु
  7. व्यंग्य काव्य
  8. मुक्तक
  9. छंद  (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका इत्यादि)

 

 अति आवश्यक सूचना :- ओ बी ओ प्रबंधन समिति ने यह निर्णय लिया है कि "OBO लाइव महा उत्सव" अंक- १४ में सदस्यगण  आयोजन अवधि में अधिकतम तीन स्तरीय प्रविष्टियाँ   ही प्रस्तुत कर सकेंगे | नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा गैर स्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटा दिया जाएगा, यह अधिकार प्रबंधन सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी |


(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो गुरूवार ८ दिसंबर लगते ही खोल दिया जायेगा )


यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign up कर लें |


"महा उत्सव"  के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...

"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

मंच संचालक

धर्मेन्द्र शर्मा (धरम)

Views: 12129

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

एक से बढकर एक

           अपनी पहली ग़ज़ल 

    आप सब की नज़र पेश कर रहा हूँ .............

       अतेन्द्र कुमार सिंह "रवि" 

          विषय ---- "आशा "

 

खुद में डूबे इन्सां को खुदा का मिलता प्यार नहीं 

अँधेरे  की कोठरी से यूँ मिलता उसको द्वार नहीं--1

 

सामने जो वक़्त है यूँ चलना होगा संग उसी के 

मार के ठोकर निकल जा पत्थर है ये पहार  नहीं---2 

 

मुमकिन नहीं है क्या जहाँ  में आस लिए जो फिरते  हैं 

नाव तो है अपनी ये बंधू क्या हम हैं पतवार नहीं ---3

 

हिकमत है तो होगी रे किस्मत कदम बढालें हम जरा 

आस लिए बस बढने में ही जीत है अपनी हार नहीं---4  

 

कदम बढाके प्यारे जग में मुड़ना  है नादानी 

भटक गए जो राह से नादाँ है होशियार नहीं ---5

 

कहीं पे होगा मोह का बंधन कहीं बुलाता चन्दन भी 

आस है बस साथ में अपने , प्यारे ये संसार नहीं---6

 

जल उठेगी अपनी मशालें गर किरण आस की होगी 

संग चलेगा बस  यही तो  यूँ होगा अपना यार नहीं ---7 

 

करलें मन को निर्मल भी तो तन को किया जो करतें हैं 

मन की ताक़त रहेगी हर पल अपनी ये तलवार नहीं ---8

 

आस का पौधा सुख न जाय बीज कभीं जो बोया था 

गिरके सम्हालना सीखें हम गिरके उठना हार नहीं ---9

 

एक आस पे ही टिकी ज़मीं है जिसपे जीवन दर्पन है 

"रवि" आस ही शेषनाग हैं इससे है इनकार नहीं---10 

 

//आस का पौधा सूख न जाये बीज कभीं जो बोया था 

गिरके सम्हालना सीखें हम गिरके उठना हार नही//

भाई अतेन्द्र जी ! सुन्दर भावों से सजी हुई आपकी पहली ग़ज़ल का स्वागत है ! बहुत-बहुत बधाई मित्र ! वैसे इसे अभी ग़ज़ल से सम्बंधित  शिल्प की  कसौटी पर कसें तो यह और भी बेहतर बन सकती है !

अतेन्द्र भाई की प्रस्तुति के लिये साधुवाद.

जल उठेगी अपनी मशालें गर किरण आस की होगी 

संग चलेगा बस  यही तो  यूँ होगा अपना यार नहीं

 

आस का पौधा सुख न जाय बीज कभीं जो बोया था 

गिरके सम्हालना सीखें हम गिरके उठना हार नहीं -

बहुत खूब !

वैसे इस ग़ज़लनुमा प्रयास को धीरे-धीरे बह्र में आप ला सकते हैं, सतत प्रयास जारी रखें. आपकी कोशिश बहुत आशान्वित करती है.

बधाई .. .

 

बहुत सुन्दर प्रयास है अतेन्द्र भाई ! काफिया रदीफ़ का जिस अच्छी तरह से निर्वाह किया है आपने उस से आशा जागती है कि थोड़े से श्रम के बाद बाद आप ग़ज़ल विधा में औए भी अच्छा लिखने लगेंगे ! इस सद्प्रयास के लिए मेरा साधुवाद स्वीकार करें ! 

सुंदर रचना के लिए बधाई हो अतेंद्र जी

आशा और आत्म-विश्वास का सुंदर संतुलन. बधाई हो.

अतेंद्र जी ...कथ्य की दृष्टि से यह रचना सभी मानकों पर खरी उतरती है परन्तु शिल्प में थोड़ी और कसावट की आवश्यकता है....प्रयास ज़ारी रहे ...आपके अंदर एक बेहतरीन गज़लकार है| शुभकामनाएं|

आस का पौधा सुख न जाय बीज कभीं जो बोया था

गिरके सम्हालना सीखें हम गिरके उठना हार नहीं

उम्दा ............... बधाई अतेंद्रजी

बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही आदरणीय अतीन्द्र जी...एक एक शेर कमाल का है. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये

सुन्दर रचना - बधाई स्वीकार करें. 

अतेन्द्र जी सर्व प्रथम तो ग़ज़ल विधा में कला आज्माईस हेतु बधाई, प्रयास बढ़िया है, ऐसे ही कहते रहे, जल्द ही और निखार आएगा , इस प्रस्तुति हेतु दाद कुबूल करे |

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Samar kabeer commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"भाई रामबली गुप्ता जी आदाब, बहुत अच्छे कुण्डलिया छंद लिखे आपने, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।"
2 hours ago
AMAN SINHA posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . विविध

दोहा पंचक. . . विविधदेख उजाला भोर का, डर कर भागी रात । कहीं उजागर रात की, हो ना जाए बात ।।गुलदानों…See More
yesterday
रामबली गुप्ता posted a blog post

कुंडलिया छंद

सामाजिक संदर्भ हों, कुछ हों लोकाचार। लेखन को इनके बिना, मिले नहीं आधार।। मिले नहीं आधार, सत्य के…See More
Tuesday
Yatharth Vishnu updated their profile
Monday
Sushil Sarna commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"वाह आदरणीय जी बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल बनी है ।दिल से मुबारकबाद कबूल फरमाएं सर ।"
Nov 8
Mamta gupta commented on Mamta gupta's blog post ग़ज़ल
"जी सर आपकी बेहतरीन इस्लाह के लिए शुक्रिया 🙏 🌺  सुधार की कोशिश करती हूँ "
Nov 7
Samar kabeer commented on Mamta gupta's blog post ग़ज़ल
"मुहतरमा ममता गुप्ता जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । 'जज़्बात के शोलों को…"
Nov 6
Samar kabeer commented on सालिक गणवीर's blog post ग़ज़ल ..और कितना बता दे टालूँ मैं...
"जनाब सालिक गणवीर जी आदाब, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें । मतले के सानी में…"
Nov 6
रामबली गुप्ता commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आहा क्या कहने। बहुत ही सुंदर ग़ज़ल हुई है आदरणीय। हार्दिक बधाई स्वीकारें।"
Nov 4
Samar kabeer commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"जनाब सौरभ पाण्डेय जी आदाब, बहुत समय बाद आपकी ग़ज़ल ओबीओ पर पढ़ने को मिली, बहुत च्छी ग़ज़ल कही आपने, इस…"
Nov 2
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहा (ग़ज़ल)

बह्र: 1212 1122 1212 22किसी के दिल में रहा पर किसी के घर में रहातमाम उम्र मैं तन्हा इसी सफ़र में…See More
Nov 1

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service