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टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आपका आ सतविंदर जी
टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आपका आ ओमप्रकाश जी
टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आपका आ शशि बंसल जी
ओह !! मजबूरी में एक और संकल्प की आहुति ! उत्कृष्ट रचना | हार्दिक बधाई आ. विनय जी |
टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आपका आ सुधीर जी
दोनों को जवाब "हाँ" में भेजना और पिता जी की तस्वीर को उल्टा कर देना, गज़ब है भाई विनय कुमार जी I संकल्प के दोधारी तलवार पर चलती एक महिला के अंदर चलते संघर्ष को बहुत ही ख़ूबसूरती से चित्रित किया है, दिली बधाई स्वीकार करें I
टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आपका आ योगराज सर
टिप्पणी के लिए बहुत बहुत आभार आपका आ रश्मि तारिका जी
वो कमज़ोर क्यों पड़ गई ये प्रश्न झंकझोर रहा है , अच्छी कथा के लिए बधाई आपको ,अंत कुछ सकारात्मक हो जाता तो कथा में चार चाँद लग जाते आदरणीय विनय जी
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