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आदरणीय साथियो,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-77 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है,
:  
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-77
"विषय: 'क़ीमत'  
अवधि : 30-08-2021  से 31-08-2021 
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
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मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

इस टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आ तेज वीर सिंह जी

मानव मन की विचार तरंगों को निरूपित करती लघुकथा हुई है आ.भाई विनय जी।हार्दिक बधाई।

इस टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आ मनन कुमार सिंह जी

  आदरनीय विनय जी , लघुकथा के अंत में जो कहा गया , व्ही सच है , हमारी मन की हालत ही इस के लिए जिमेवार है, हमें समय के साथ चलने के लिए सोच को भी बदलना होगा , मुबारकबाद जी 

इस टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आ मोहन बेगोवाल जी

 समाज मे व्याप्त कुछ कुरीतियों की सबने ही कीमत चुकाई है। किसी ने कल किसी ने आज। हार्दिक बधाई इस प्रभावशाली रचना के लिये आदरणीय विनय जी।

इस टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आ प्रतिभा पांडे जी

आ. भाई विनय जी, अच्छी लघुकथा हुई है । हार्दिक बधाई।

इस टिप्पणी के लिए बहुत बहुत धन्यवाद आ लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी

अच्छा विषय उठाया है आपने आदरणीय विनय कुमार जी पर ट्रीटमेण्ट बेहतर हो सकता था। बाकी तथ्य इस कथ्य के विपरीत कुछ और ही गवाही देते हैं। फिलहाल हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए।

    कीमत

सुबह सैर कर रहा था, इक आवाज़ मेरे कानों से टकराई, साहिब जी नमस्कार।

उस ने आज बहुत सुंदर लाल कमीज़, काली ऐनक और सिर पर टोपी रखी हुई थी।

धीरे से उस ने मेरे पास ट्राई साइकिल लाते हुए

कहा, "साहिब जी, आज भोले नाथ का दिन है, आज कुछ हो जाए।"

"नहीं भाई, आज शिव रात्रि नहीं, आज तो जन्म अष्टमी है।"

"मैंने उस के ट्राईसाईकिल के पास जाते हुए कहा।"

"आप को किस ने बताया, आज भोले नाथ का दिन।"

"सभी लोग कह थे।" मगर मुझे क्या पता, मैं तो तैयार हो कर मंदिर जा रहा हूं।

"क्या कह रहे हैं, सभी लोग?" मैंने फिर उस से पूछा

"जो आप कह रहे हैं, सर जी, हो जाए फिर, आज, उस ने अपनी बात को फिर कहा।"

मैं भी मंदिर में चढ़ावा चडाना चाहता हूं, उस ने मुझे ज़िंदगी दी और भी बहुत कुछ भी, मुझे भी तो उस को ज़िंदगी देने के लिए कुछ क़ीमत उठानी चाहिए, उस ने बात को आगे बढ़ाते हुए कहा। "

उस की नज़र मेरे चेहरे पर आ टिकी, मैं सोच रहा था, ये क्या चुका पाएगा, इस को मिली ज़िन्दगी की कीमत, जो ख़ुद का घर तो ख़ुद चला नहीं पाता, ये जो अर्पण भी करेगा, उस के लिए ज़मीर की क़ीमत देगा। मैं, ये सोचता हुआ आगे बढ गया ।

मौलिक व आप्रकाशित

हार्दिक बधाई आदरणीय मोहन बेगोवाल जी। बहुत सुंदर लघुकथा।

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