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खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

ओपन बुक्स ऑनलाइन के सभी सदस्यों को प्रणाम, बहुत दिनों से मेरे मन मे एक विचार आ रहा था कि एक ऐसा फोरम भी होना चाहिये जिसमे हम लोग अपने सदस्यों की ख़ुशी और गम को नजदीक से महसूस कर सके, इसी बात को ध्यान मे रखकर यह फोरम प्रारंभ किया जा रहा है, जिसमे सदस्य गण एक दूसरे के सुख और दुःख की बातो को यहाँ लिख सकते है और एक दूसरे के सुख दुःख मे शामिल हो सकते है |

धन्यवाद सहित
आप सब का अपना
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बहुत बहुत बधाई आदरणीय समर साहब ।
बहुत बहुत। शुक्रिया मोहतरमा कल्पना भट्ट साहिबा ।
आदरनीय समर कबीर साहब , नमस्कार , लिखने वाले ने तो जो लिखा अच्छा लिखा , हम तो आपके पता नहीं कब से कायल है , आपको एक अनुभवी , जिम्मेदार , पथ-प्रदर्शक , और हर तरह से बहुत अच्छा मित्र और इंसान समझते और जानते हैं। बस कभी कह नहीं पाए। लिखने वाले इस बारे में बेशक बाज़ी मार ले गए और खूबसूरत अंदाज़ में , बेशक अच्छा लिखा , बधाई आपको और उन्हें भी। बाकी आपकी कुछ निजी परेशानियों के बारे में जानकर कष्ट भी हुआ , पर आपके हौसले बुलंद हैं और आगे भी रहे , शायर लोग तो वैसे भी बाँटते हैं , लेते क्या हैं। आप सलामत रहें , स्वस्थ रहें , हंसते रहे। आपने इसे साझा किया , हम उपकृत हुए।
सादर।
आली जनाब डॉ.विजय शंकर जी आदाब,मैं इस हक़ीक़त से बख़ूबी वाक़िफ़ हूँ कि :-

"मुहब्बत मा'ना-ओ-अल्फ़ाज़ में लाई नहीं जाती
ये वो नाज़ुक क़्क़ीक़त है कि समझाई नहीं जाती"
आपकी स्नेहिल प्रतिक्रया के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।

भाई समर कबीर जी, 

यह खुशखबरी सुन कर दिल बहुत खुश हुआ.... आपको यह मान मिलना ही था, आप कब से इस मान के हकदार हैं। हार्दिक बधाई, भाई समर जी।

मुहतरम जनाब विजय निकोर जी आदाब,आपकी प्रशंसा मेरे लिये बड़ा इनआम है, तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ आपकी मुहब्बतों के लिये ।

⁠⁠⁠क्या बात है , आदरणीय समर भाई , पढ के दिल बाग़ बाग़ हुआ जा रहा है , आपके साथ साथ ये हम ओबीओ वालों के लिये इज़्ज़त अफज़ाई और फ़ख़्र की बात है ...मुझे खुशी है कि आपकी इमान्दारी , मेनहत और लगन अब रंग ला रही है ... ख़ुदा ऐसे और मौक़ों से नवाज़े आपको।

जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब,ये सब आपकी और ओबीओ की मुहब्बतों का नतीजा है,आपकी मुहब्बतों के लिये तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।

बहुत बहुत बधाई जनाब समर कबीर साहब। ज़हीर कुरेशी साहब बेहद सुलझे हुए इंसान और आला दर्जे के शायर हैं। बिल्कुल सीधी और सच्ची बात कहते हैं वो। दिली दाद कुबुल करें।

जनाब धर्मेन्द्र कुमार सिंह साहिब आदाब,ज़हीर साहिब के बारे में आपने सही फ़रमाया,आपकी मुहब्बतों के लिये बहुत बहुत शुक्रिया ।

समावर्तन के जनवरी अंक में आपकी 10 गजले सम्मिलित हुई, इसके लिए हुत बहुत बधाई श्री समर कबीर साहब | ये हम सभी के लिए और ओबीओ के लिये इज़्ज़त अफज़ाई और फ़ख़्र की बात है | सादर 

जनाब लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला जी आदाब,आपकी और ओबीओ की मुहब्बतों के लिये बहुत बहुत धन्यवाद ।

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