आदरणीय साथिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
बहुत बढ़िया। हार्दिक बधाई आदरणीया भूपिन्दर कौर जी।
आदरणीया भूपिंदर जी , बहुत सुंदर प्रतीक आतंमक लघुकथा के लिए मुबारकबाद कुबूल करें
विचारोत्तेजक रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीय भूपेन्द्र सरजी ।
अपेक्षा या उपेक्षा
आज रशीद बहुत उत्साहित था ट्रेन आने के वक्त के साथ-साथ उसके चेहरे पर बेचैनी और उत्सुकता के मिश्रित भाव देखे जा सकते थे ।
चार पाँच दिन पहले ही उसने मालिक से अपने अम्मी अब्बू के आने की खुशखबरी दी थी ।
विधायक अजीम कुरैशी जी के यहाँ छः साल से ड्राइवरी की नौकरी करते हुए पहली बार उसके अम्मी अब्बू उसके पास आ रहे हैं ।
मालिक ने कितनी ख़ुशी से कहा था गाड़ी ले जाना और उनको स्टेशन से ले आना ।
रशीद की आँखों में मालिक का कद और बढ़ गया था ।
मगर आज सुबह मालिक ने बताया कुछ गेस्ट आने वाले हैं सभी गाड़ियाँ लगाई जाएँगी मगर दूसरा ड्राइवर मेहमानों को गेस्ट रूम में छोड़कर स्टेशन पर ट्रेन आने से पहले तुम्हारे पास पँहुच जाएगा .
प्लेटफार्म पर भाग दौड़ की आवाज़ सुनकर झटके से रशीद की विचार शृंखला टूटी .
ट्रेन आकर रुक गई ।
रशीद दौड़कर डब्बे तक पँहुच गया ।
निकलते ही अब्बू अम्मी से लिपट गया ।
फ़िर उनको बेंच पर बैठाकर इधर-उधर देखता हुआ चहल कदमी करने लगा ।
अम्मी के पूछने पर उसने चहक कर बताया कि "उसके साहब इतने अच्छे हैं कि उनको लेने अपनी एयर कंडीशंड गाड़ी भेज रहे हैं "।
काफी वक्त इंतजार में बीत गया । अम्मी अब्बू पहले से ही थके हुए थे उनकी थकान कुछ और बढ़ गई ।
अचानक रशीद उठा कुछ दूर जाकर फोन करने लगा
माँ बाप की नज़र उस पर ही अटकी थी वो रशीद के हाव भाव में झुंझलाहट देख कर परेशान से हो उठे ।
फोन बंद कर जब रशीद भारी कदमों से नज़रे झुकाए उनकी ओर आया तो माँ बाप ने एक दूसरे की ओर देखा नज़रों ही नज़रों में कोई निर्णय किया।
अब्बू ने बेटे के काँधे पर हाथ धरते हुए कहा "बेटा मैं तुम्हें बहुत देर से कहना चाह रहा था मगर संकोच वश नहीं कह पा रहा हूँ कि तुम्हारी अम्मी को गाड़ी में उल्टियाँ होती हैं वो बस में खिड़की के पास इसीलिए बैठती है। हवा लगती जाएगी तो इसकी तबीयत भी ठीक रहेगी। तुम साहब से माफी माँग कर गाड़ी के लिए मना कर दो " अम्मी ने भी अब्बू की हाँ म हाँ मिलाई ।
रशीद के चेहरे पर मानो एक जीवंत मुस्कान लौट आई
जिसे देखकर अम्मी अब्बू की सफ़र की थकान एक दम ग़ायब हो गई ।
मौलिक एवं अप्रकाशित
वाह और आह। बेहतरीन मार्मिक विचारोत्तेजक उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया राजेश कुमारी साहिबा। पात्र-नामों की विशेष आवश्यकता नहीं थी। तृतीय या चतुर्थ श्रेणी के कर्मियों के त्याग, सपनों, प्रलोभनों, आश्वासनों और फिर समझौतों पर बढ़िया कथानक और कथ्य। माता-पिता हमेशा दूरदर्शिता से अपनी परेशान औलाद को यूं तसल्ली पहुँचाने की तरक़ीबें प्रत्युत्पन्नमति से आजमा लिया करते हैं। सादर।
आद.उस्मानी साहब शुक्रिया आपको .मेरे मोबाईल से रिप्लाई नहीं हो पा रहे हैं कल से परेशान हूँ अभी नेटवर्क कुछ ठीक आया
बेहतरीन रचना आदरणीया राजेश जी, धनपतियों की व्यवहारिकता और उनकी व्यवसायिकता की झलक दिखाने के साथ रचना, माता-पिता की सम्झादरी और उनके जीवन के नजरिये को बहुत ही सुंदर ढंग से दिखाती है लघुकथा..... प्रस्तुति और शीर्षक भी बहुत सुंदर हुए है, बधाई स्वीकार करें आदरणीया
बहुत बहुत शुक्रिया वीरेंद्र जी
बढ़िया लघुकथा है आदरणीया राजेश कुमारी जी पर मुझे लगता है कि अभी सम्पादन की गुंजाइश इसमें शेष है. मेरी तरफ़ से भी हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.
//चार पाँच दिन पहले ही उसने मालिक को अपने अम्मी अब्बू के आने की खुशखबरी दी थी। //
शुक्रिया महेंद्र जी मोबाईल से डायरेक्ट लिखी इस बार .
बहना राजेश कुमारी जी आदाब,बहुत उम्दा और शानदार लघुकथा लिखी है आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
भाई जी दिल से शुक्रिया आपका .मोबाईल से रिप्लाई करने में कल से मुश्किल पेश आ रही हैं
स्वर्ण जयंती पर रहा नहीं गया तुरंत फुरत में लघु कथा डायरेक्ट मोबाईल से लिखी .अभी थोड़ा नेटवर्क सही आया तो लिख पा रही हूँ
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |