आदरणीय साथिओ,
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आ. सुनील जी प्रतिकात्मकता से कटाक्ष आपकी खासियत है जो यहाँ भी पढने को मिली. बहुत सार्थक रचना के लिए बधाई स्वीकार करे
, बुजुर्गों की स्थिति पर कथाएँ लिखी जाती हैं पर ख़ास बात है विषय का ट्रीटमेंट जो कथा को ख़ास बनाता है . जिसमे आप माहिर हैं ..थोड़ी सी कटु है पर शानदार है ..हार्दिक बधाई आदरणीय सुनील जी
बढ़ीया रचना आदरणीय भाई । प्रचलित कथानक पर प्रैजेंटेशन ने इसे प्रभावशाली बना दिया। शीर्षक छिलके के बारे में थोड़ा संशय । शुभकामनाएं स्वीकारें ।
वाह! शीर्षक के लिए अतिरिक्त बधाई।
वाह ! वाह ! सुनील भाई , सही कहा ।
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