आदरणीय साथिओ,
Tags:
Replies are closed for this discussion.
हार्दिक आभार
हार्दिक आभार
वाऊ .बेहतरीन , सक्षिप्त , कसी हुयी .
हार्दिक आभार
"घावों को ढक कर रखना चाहिए। मक्खियों की फ़ितरत में ही होता है घाव कुरेदना।" बहुत अच्छी सीख दी है आपने अपनी लघुकथा के माध्यम से आदरणीय सुधीर जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.
प्रदत्त विषय से पूर्णरूपेण न्याय करती इस लघुकथा के लिए ह्दय से शुभकामनाएं। आपकी लघुकथाओं से 'दृश्य चित्रण' कैसे किया जाए सहजे ही सीखा जा सकता है। एक बात है भाई /लाल-सुर्ख आँखों का कारण पूछा तो उसने हमेशा की तरह आज फ़िर बात टाल दी। और क्लीनिक की साफ-सफाई में जुट गई ।/ इस पंक्ित से ये लगता है कि वो 'सबक' तो आलरेडी सीख ही चुकी है। एक और बात / आज का दिन भी कुछ यूँ ही बीतता अगर एक नन्हे मरीज़ की महीन आवाज़ उसके कानों में न पड़ती।/ यह पंक्ित बकौल प्रधान संपादक पहले से ही एलीमेंट ऑफ सरप्राइज़ रिवील कर रही है। / बुदबुदाते हुए उसने बेड पर पड़े कम्बल को तह करके परे रखा और चादर पर पड़ी सलवटों को हाथ से सीधा कर दिया।/ यह पंक्ित बहुत सहज और प्रभावशाली है इससे आपके दृश्य चित्रण कौशल के दर्शन होते हैं। एक बार फिर से शुभकामनाएं ।
हार्दिक बधाई आदरणीय सुधीर जी।बेहतरीन लघुकथा।प्रदत्त विषय पर अच्छी संदेशप्रद रचना।
वाह ...हमेशा की तरह आपकी सटीक शैली में लिखी शानदार कथा ...हार्दिक बधाई आदरणीय सुधीर जी
अनाथ
"माँ ,आशीर्वाद दीजिए ।" राहुल ने अपनी माँ शारदा देवी के चरणों को स्पर्श करते हुए कहा ।
"आज सुबह-सुबह चरण स्पर्श और आशीर्वाद कैसा ? कोई खास.......।" माँ ने अख़बार से नज़रें हटाकर कहा ।
"आज मदर्स डे है , मातृ दिवस ।"
"अच्छा तो ये बात है , माँ के लिए साल में एक दिन खास । जुग-जुग जियो मेरे लाल ।" माँ ने आशीर्वाद देते हुए कहा ।
" अपने इकलौते बेटे को आज के दिन कुछ सलाह या सीख नहीं दोगी माँ जिसे मैं जीवन भर याद रख सकूँ ।"
"कुछ खास नहीं बेटा । बस! तेरे जीते जी मैं अनाथ न हो जाऊँ।"
"कैसी बात कर रही हो माँ ।"
"आजकल तेरी बीवी अनीता का बर्ताव ......।"
कहते-कहते माँ की आँखों में आँसू आ गए ।
.
मौलिक एवं अप्रकाशित ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |