आदरणीय साथिओ,
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हार्दिक बधाई आदरणीय डॉ टी आर शुकुल जी।बेहतरीन प्रस्तुति ।दिये गये शीर्षक को बखूबी निभाती हुई रचना।
समाज में अच्छा सन्देश देती प्रदात विषय पर बहुत सुंदर लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई डॉ. टी आर सुकुल साहब | सादर
समाज सुधार हेतु सकारात्मक सन्देश देती इस रचना के सृजन हेतु सादर बधाई स्वीकार करें आदरणीय त्रिलौक्य रंजन जी सर
लघुकथा --रात का सफ़र
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अमर ने रोज़ की तरह रात के दस बजते ही स्लीपर बस को स्टार्ट कर दिया ,कंडक्टर ने बस चलते ही जल्दी जल्दी मुसाफिरों के टिकेट चेक किए और उसके बाद ड्राइवर अमर के पास कॅबिन में पहुँच गया बस अपनी मंज़िल की तरफ बढ़ रही थी कि अचानक दो घंटे बाद एक यात्री अपनी सीट से उठ कर कॅबिन की तरफ बढ़ा और उसने अमर की कनपटी पर रिवाल्वर लगाने के बाद कहा
"आगे जहाँ बोलूं वहाँ गाड़ी रोक देना ''
अमर ने फ़ौरन स्थिति को भाँप लिया क्योंकि उसके साथ एसा पहले भी हो चुका था , उसने फ़ौरन कंडक्टर को आँख से इशारा करके ब्रेक लगा दिया , वो आदमी मुँह के बल गिर गया रिवॉल्वर हाथ से छूट गया ,कंडक्टर ने उसे दबोच लिया, अचानक ब्रेक लगने से मुसाफिरों को झटका लगा और जाग गये ,अमर ने उसके बाद बस आगे एक पुलिस चौकी पर खड़ी करदी ,उस आदमी को गिरफ्तार
कर लिया गया अमर ने बस अपनी मंज़िल की तरफ रवाना करदी ,मुसाफिरों ने अमर का शुक्रिया अदा किया क्योंकि उसकी वजह से सबकी जान और माल की हिफ़ाज़त हुई है आसमान पर रात का मुसाफिर चाँद ज़मीन पर अंधेरी राहों के मुसाफिरों के कारनामों को हैरत से देख कर मन ही मन मुस्करा रहा था -------
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मौलिक व अप्रकाशित
मुहतरम जनाब ओम प्रकाश साहिब, लघुकथा में गहराई से शिरकत करने और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया -
मुहतरम जनाब विजय शंकर साहिब, लघुकथा में गहराई से शिरकत करने और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया -
मुहतरम जनाब सुनील वर्मा साहिब, लघुकथा में गहराई से शिरकत करने और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया -
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