For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-143

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 143वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा जनाब हसरत मोहानी साहब की गजल से लिया गया है|

" शम्अ जब रौशन हुई घर में उजाला कर दिया "

    2122                  2122                2122                 212        

 

     फ़ाइलातुन          फ़ाइलातुन           फ़ाइलातुन            फ़ाइलुन

बह्र: रमल मुसमन महज़ूफ़

 

रदीफ़ :-  कर दिया

काफिया :- आ(उजाला, सहारा, तमाशा,  हमारा, अपना, आदि)

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनांक 27 मई दिन शुक्रवार  को हो जाएगी और दिनांक 28 मई  दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

नियम एवं शर्तें:-

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |

एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |

तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |

शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |

ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |

वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें

नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |

ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

"OBO लाइव तरही मुशायरे" के सम्बन्ध मे पूछताछ

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो27 मई दिन  शुक्रवार  लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन

बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक...

मंच संचालक

राणा प्रताप सिंह 

(सदस्य प्रबंधन समूह)

ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 5296

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आदरणीय चेतन प्रकाश जी, तरही मिसरे पर सुन्दर गजल सृजन के लिए बधाई स्वीकार करें।

आ. दयाराम मेठानी जी, गज़ल, आपको अच्छी लगी, इस हेतु आपका आभारी हूँ ! 

आदरणीय चेतन जी, ग़ज़ल कुछ और वक़्त माँग रही है

आ. संजय शुक्ला जी, "गज़ल कुछ और वक्त माँग रही है", जैसे अस्पष्ट वक्तव्य के अपेक्षाकृत यदि आप अशुद्ध तकनीक / भाव सम्प्रेषण अथवा विशिष्ट शब्द के औचित्य अथवा अभाव पर कुछ बताते तो बेहतर होता, आशा है आप कृतार्थ करेंगे! 

आ. प्रकाशजी

बढ़िया गजल कही आपने, बधाई  स्वीकार करें।

आदाब,  भाई अमित स्वप्निल , आपने पढ़कर गज़ल  को संस्तुत  किया, आपका  बहुत बहुत धन्यवाद  ! आपका आशीर्वाद  मिल ता रहेगा, ऐसी आशा है !

आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। तरही मिसरे पर अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।

आदाब,  आदरणीय भाई लक्ष्मण सिंह मुसाफिर धामी, ग़ज़ल आपकी संस्तुति  पा सकी, अच्छा  लगा ! और ,हाँ कृतार्थ  महसूस कर रहा  हूँ !

आदरणीय चेतन जी, नमस्कार

बढ़िया ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये, और बहतर हो सकती है।

सादर

आ. रिचा यादव,  आपका  बहुत-बहुत शुक्रिया, गज़ल  को पसंद करने हेतु  !  जहाँ  तक बेहतर  होने का प्रश्न  है, प्रक्रिया पूर्णता प्राप्त  होने तक चल सकती  है ! फिर  भी ,  ज

गज़ल  केसे बेहतर  हो सकती  है, आप  मुझे  बता  सकती हैं, आपके सुझावों का सदैव  स्वागत  हे, सु श्री जी !

 माननीय चेतन जी सबसे पहले तो बहर देखें  .

दी गई बहर- 221 2121 1221 212

दुश्मनों ने आज मेरा मुँह जो काला कर दिया

हो गई फुरसत हबीबों को तो चुकता कर दिया

आपकी तकतीअ- 212  2212 2212 221

शेर का मफ्हूम अस्पष्ट एवं  दोनों मिसरों का घटना काल भिन्न है 

तीरगी से है मुहब्बत ज़िन्दगी रोती रही

मज़हबी लोगों ने देखो कैसा खेला कर दिया

'खेला शब्द स्थानीय बोली का है ...इसे साहित्य में यूँ प्रयोग नहीं करते .

दोनों मिसरों में कोई मेल नहीं और न ही शेर का कथ्य ही स्पष्ट हुआ 

रोशनी से चौंधियाती आँख वो बीमार की
इक अरस्तू ज़हर देकर ग्रीस हलका कर दिया

भाव स्पष्ट नहीं .सानी में व्याकरण दोष .


ना जाने कितने सूरज याँ आजमाईशों मरे
मार दी गोली गाँधी को और अँधेरा कर दिया

शेर बहर से ख़ारिज है .


कौन कहता फासि़ज़्म जग मर चुका हिटलर की मौत
कोई ख़ुशफ़हमी वगरना जग खसारा कर दिया

पता नहीं क्या कहना चाहते हैं 


झूठ का था बोलबाला सच का मुँह काला रहा ( गिरह )
शमअ जब रोशन हुई घर में उजाला कर दिया

तकाबुल रदीफ़ दोष है .दोनों मिसरों में रब्त नहीं है 


है न कोई दोस्त 'चेतन' दुश्मनी भरमार है,
बस सहारा है ख़ुदा का जिसने हीरा कर दिया

कैसे हीरा कर दिया ..कुछ सूरत तो होनी चाहिए 

चेतन जी ग़ज़ल की बारिकियों पर अभी आपको मशक्कत की ज़रूरत है. आपने त्रुटि पूर्ण  बिंदुओं को इंगित करने को कहा तो दुष्यंत याद आ गए ...

सर से सीने में कभी पेट से पांवों में कभी

इक जगह हो तो कहें दर्द इधर होता है 

और हाँ तंज़ मेंआपने  मुझे उस्ताद कहा ...मुझे अच्छा लगा .ग़ज़ल कहने की  जो मेरी जानकारी है  आप चाहें तो मेरी सेवाएँ उपलब्द्ध हैं 

.


मौलिक एवं अप्रकाशित

  1. आद  चेतन जी . समीक्षा के पहले पारा को ख़ारिज समझें .दरअसल दूसरे आयोजन के मिसरे पर बे खयाली में ग़लत बहर का उल्लेख हो गया . शेष पर तवज्जोह आमन्त्रित है .भूल के लिए क्षमा प्रार्थी 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मंच संचालक जी , मेरी रचना  में जो गलतियाँ इंगित की गईं थीं उन्हे सुधारने का प्रयास किया…"
4 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 178 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
11 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक आभार.…"
12 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत रोला छंदों पर उत्साहवर्धन हेतु आपका…"
12 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
12 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी छंदों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार "
13 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय गिरिराज जी छंदों पर उपस्थित और प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार "
13 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक जी छंदों की  प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिये हार्दिक आभार "
13 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय मयंक कुमार जी"
13 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
" छंदों की प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
13 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    गाँवों का यह दृश्य, आम है बिलकुल इतना। आज  शहर  बिन भीड़, लगे है सूना…"
13 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी,आपकी टिप्पणी और प्रतिक्रिया उत्साह वर्धक है, मेरा प्रयास सफल हुआ। हार्दिक धन्यवाद…"
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service