For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-120

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 120वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब  जलील मानिकपुरी साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|

"तुझ से मिलने की आरज़ू है वही "

2122     1212     22/112

फाइलातुन        मुफ़ाइलुन        फेलुन/फइलुन

(बह्र: खफीफ मुसद्दस मख्बून मक्तुअ )

रदीफ़ :- है वही।
काफिया :- ऊ( आरज़ू, गुफ़्तगू, तू, बू, लहू आदि)

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 26 जून दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 27 जून दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

 

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 26 जून दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 9225

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

 आदरनीया रजेश जी , अच्छी ग़ज़ल लिए  बधाई हो 

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय मोहन बेगोवाल जी।

तू मुखौटे पहन भले कितने
तेरी औक़ात चार सू है वही

वाह राजेश कुमारी जी ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है बधाई स्वीकार करें  

आदरणीया राजेश कुमारी साहिबा, इस बेहतरीन ग़ज़ल पर दाद और मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाएँ!

आदरणीय चेतन जी अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई हो

 

तहे दिल से आपका शुक्रिया, आदरेय मोहन बेगोवाल साहब!

ज़िंदगी तुझसे गुफ़्तगू है वही
जुस्तजू थी जो, जुस्तजू है वही

मेरे ख़्वाबों की ले गवाही लो
मेरी आँखें लहू-लहू है वही

हाल की बात हो या माज़ी की
देख मंज़र चहार-सू है वही

मिल सकूँ या न मिल सकूँ लेकिन
"तुझसे मिलने की आरज़ू है वही"

कौन आया है इतनी रात गये
मेरा हमदम है, हू-ब-हू है वही

फूल क्यों कर उदास है आख़िर
रंग भी तो वही है, बू है वही

बदला-बदला सा मेरा चेहरा है क्यूँ
आईना मेरे रू-ब-रू है वही

मौलिक व अप्रकाशित

जनाब दीपक कुमार जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है,बधाई स्वीकार करें ।

'मेरे ख़्वाबों की ले गवाही लो 
मेरी आँखें लहू-लहू है वही'

इस शैर के ऊला मिसरे का शिल्प कमज़ोर है,और सानी मिसरे में 'आँखें' शब्द बहुवचन हैं इसलिए रदीफ़ 'है वही' की जगह "हैं वही" हो रही है,देखियेगा ।

'कौन आया है इतनी रात गये 
मेरा हमदम है, हू-ब-हू है वही'

इस शैर के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है,और भाव भी स्पष्ट नहीं हो रहा है,देखियेगा ।

'बदला-बदला सा मेरा चेहरा है क्यूँ'

ये मिसरा बह्र से ख़ारिज हो रहा है,'क्यों' शब्द के कारण ।

बाक़ी शुभ शुभ ।

आदरणीय समर कबीर साहब, बहुत-बहुत शुक्रिया !

'मेरे ख़्वाबों की ले गवाही लो 
मेरी आँखें लहू-लहू है वही'

कृपया  ऊला मिसरे के बारे में थोड़ा विस्तार से बताएँगे शिल्प कमज़ोर क्यूँ है और इसे दुरुस्त कैसे किया जा सकता है, ताकि ग़ज़ल कहते वक़्त मैं इन बातों का ध्यान रख सकूँ । 

सानी मिसरे में 'आँख मेरी लहू-लहू है वही'  कर दूँ तो ?

'कौन आया है इतनी रात गये 
मेरा हमदम है, हू-ब-हू है वही'

इसके ऊला मिसरे में "कौन याद आया इतनी रात गए" या ''ख़्याल किसका  है  इतनी रात गए'' कर दिया जाए तो ?

'बद (2) ला (1) - बद (2) ला (2) / सा (1) मे (2) रा (1)  चेह (2)  /  रा (1) है (1)  क्यूँ' (2)

ये तक्ती मैंने इस तरह क थी,कृपया मार्गदर्शन करें।

सादर !

//मेरे ख़्वाबों की ले गवाही लो 
मेरी आँखें लहू-लहू है वही'//

इस शैर के ऊला मिसरे में 'ले गवाही लो' वाक्य विन्यास ठीक नहीं है,सहीह वाक्य होगा "गवाही ले लो",इस मिसरे को यूँ कर सकते हैं:-

'ख़्वाब मेरे गवाही दे देंगे'

//आँख मेरी लहू-लहू है वही'  कर दूँ तो ?//

कर सकते हैं ।

//कौन आया है इतनी रात गये 
मेरा हमदम है, हू-ब-हू है वही'//

इस शैर का ऊला तो ठीक है,लेकिन सानी से उसका रब्त पैदा नहीं हो रहा है ।

'बदला-बदला सा मेरा चेहरा है क्यूँ'

इस मिसरे की तक़ती'अ यूँ होगी:-

बदला बदला-2122- मात्रा पतन के साथ ।

सा मेरा चह-1212-मात्रा पतन के साथ ।

रा है-22

'क्यों' शब्द की यहाँ ज़रूरत नहीं,क्योंकि इस बह्र में 1 अतिरिक्त लघु लेने की छूट है 2 कि नहीं ।

उम्मीद है आप समझ गए होंगे ।

कृपया आयोजन में अपनी सक्रियता बनाएँ,और टिप्पणियाँ पढ़ कर सीखने का प्रयास करें ।

जी मैं समझ गया। बहुत-बहुत शुक्रिया, आपने इतना समय दिया। एक जिज्ञासा और है - क्या "रा" और "है" की मात्रा गिराकर इन्हें 11 की तरह नहीं लिया सकता है ?

'रा' और 'है' की मात्रा गिरा सकते हैं ।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"डिलेवरी बॉय  मई महीने की सूखी गर्मी से दिन तप गया था। इतने सारे खाने के पैकेट लेकर तीसरे माले…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है। यह लघुकथा पाठक को गहरे…"
2 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान'मैं सुमन हूँ।' पहले ने बतया। '.........?''मैं करीम।' दूसरे का…"
3 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"स्वागतम"
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar joined Admin's group
Thumbnail

सुझाव एवं शिकायत

Open Books से सम्बंधित किसी प्रकार का सुझाव या शिकायत यहाँ लिख सकते है , आप के सुझाव और शिकायत पर…See More
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। विलम्ब से उत्तर के लिए…"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
16 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आ. भाई धर्मेंद्र जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
16 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आयोजन की सफलता हेतु सभी को बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। वैसे यह टिप्पणी गलत जगह हो गई है। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)

बह्र : 2122 2122 2122 212 देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिलेझूठ, नफ़रत, छल-कपट से जैसे गद्दारी…See More
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service