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मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना....बहुत बढ़िया प्रवाह वाली कथा हुई है ..बधाई
बहुत आभारी हूँ सविता जी ,आपने मेरी रचना को समय दिया और उत्साह बढ़ाया।
जी कांता जी। आपसे इतनी प्रशंसा पा कर सातवें आसमान पर हूँ। विनम्र आभार।
आपकी बधाई सर आँखों पर अनुज सतविंदर। आपने रचना को जबरदस्त कहा तो हौसला बहुत बढ़ा। आभार।
सच में बिल्कुल कसी हुई लघु कथा ना कोई शब्द ना कोई ज्यादा ।बहुत खूब आदरणीय नील जी।
मेरी रचना पर आपकी प्रतिक्रिया पा कर प्रफुल्लित हूँ नेहा जी। बहुत आभारी हूँ कि आपने रचना पढ़ने और कमेंट के लिए अपना कीमती समय दिया।
जनाब प्रदीप नील साहिब , प्रेम रंग की अच्छी रचना के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं
तस्दीक अहमद जी , आप जैसे वरिष्ठ कथाकार से मुकारकबाद पाना बहुत बड़ी नियामत है,मेरे लिए। बेहद शुक्रिया , आप इधर आए और मेरा मान बढ़ाया।
हार्दिक बधाई आदरणीय प्रदीप नील वशिष्ठ जी !बहुत शानदार प्रस्तुति!प्रेम के कच्चे पक्के रंगों को दर्शाती बेहतरीन रचना!
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