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आदरणीय साहित्य प्रेमियो,

सादर अभिवादन ।

पिछले 108 कामयाब आयोजनों में रचनाकारों ने विभिन्न विषयों पर बड़े जोशोखरोश के साथ बढ़-चढ़ कर कलम आज़माई की है. जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर नव-हस्ताक्षरों, के लिए अपनी कलम की धार को और भी तीक्ष्ण करने का अवसर प्रदान करता है. इसी सिलसिले की अगली कड़ी में प्रस्तुत है :

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-109

विषय - "दिल से ...."

आयोजन की अवधि- 09 नवम्बर 2019, दिन शनिवार से 10 नवम्बर 2019, दिन रविवार की समाप्ति तक

(यानि, आयोजन की कुल अवधि दो दिन)

बात बेशक छोटी हो लेकिन ’घाव करे गंभीर’ करने वाली हो तो पद्य- समारोह का आनन्द बहुगुणा हो जाए. आयोजन के लिए दिये विषय को केन्द्रित करते हुए आप सभी अपनी अप्रकाशित रचना पद्य-साहित्य की किसी भी विधा में स्वयं द्वारा लाइव पोस्ट कर सकते हैं. साथ ही अन्य साथियों की रचना पर लाइव टिप्पणी भी कर सकते हैं.

उदाहरण स्वरुप पद्य-साहित्य की कुछ विधाओं का नाम सूचीबद्ध किये जा रहे हैं --

तुकांत कविता
अतुकांत आधुनिक कविता
हास्य कविता
गीत-नवगीत
ग़ज़ल
नज़्म
हाइकू
सॉनेट
व्यंग्य काव्य
मुक्तक
शास्त्रीय-छंद (दोहा, चौपाई, कुंडलिया, कवित्त, सवैया, हरिगीतिका आदि-आदि)

अति आवश्यक सूचना :-

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो पद्य-साहित्य की अलग अलग विधाओं अथवा अलग अलग छंदों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.

रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना अच्छी तरह से देवनागरी के फॉण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें.
रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे अपनी रचना पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं.
प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें.
नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
सदस्यगण बार-बार संशोधन हेतु अनुरोध न करें, बल्कि उनकी रचनाओं पर प्राप्त सुझावों को भली-भाँति अध्ययन कर संकलन आने के बाद संशोधन हेतु अनुरोध करें. सदस्यगण ध्यान रखें कि रचनाओं में किन्हीं दोषों या गलतियों पर सुझावों के अनुसार संशोधन कराने को किसी सुविधा की तरह लें, न कि किसी अधिकार की तरह.

आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है.

इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.

रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से स्माइली अथवा रोमन फाण्ट का उपयोग न करें. रोमन फाण्ट में टिप्पणियाँ करना, एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.

(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो - 09 नवम्बर 2019, दिन शनिवार लगते ही खोल दिया जायेगा)

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महा-उत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"OBO लाइव महा उत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" के पिछ्ले अंकों को पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करें

मंच संचालक
मिथिलेश वामनकर
(सदस्य कार्यकारिणी टीम)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम.

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दोहे - दिल(मन)से


औरों के भी कीजिए, कुछ तो मन से काम
जाने कब किस भेष में, मिलनें आयें राम।१।


मन से बात लगाइये, जिसमें सुख की बात
शेष सभी बिसरा  चलो, जो  देतींं आघात।२।


मन से मन की राह पर, बिछा न देना शूल
हो कर फिर सुधरे नहीं, यह तो ऐसी भूल।३।


मन से उतरा ना चढ़े, करके फिर प्रयत्न
इसीलिए खुद को रखो, जैसे मोती रत्न।४।


कभी खोज कर देखिए, मन से मन की राह
सत्य मिलेगी आपको, सुखकी छाँव अथाह।५।


प्रकट किया हर भूल का, जिसने मन से खेद
मिटा दिया उसने  सदा, मन  से मन का भेद।६।


मन से बोला कब गया, कर्म जगत में व्यर्थ
बाकी बातों का  भला, रहा  कौन सा अर्थ।७।


मन से मन को जोड़िए, करके मीठी बात
क्षमा कीजिए  भूल  पर, सुधरेंगे  हालात।८।

मौलिक/अप्रकाशित

आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी, बहुत अच्छे दोहे लिखे।

 बधाई स्वीकार करें।

आ. रचना जी सादर आभार।

आद0 लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी सादर अभिवादन। बढिया दोहावली प्रदत्त विषय पर आपने लिखी। बधाई स्वीकार कीजिये। 

आ. भाई सुरेंद्र जी, हार्दिक आभार ।

आदरणीय लक्ष्मण भाई

दोहावली के माध्यम से सार्थकसलाह। हार्दिक बधाई इस प्रस्तुति पर

आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिनन्दन। दोहों की प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद ।

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत बढ़िया सन्देश परक दोहेलिखने के लिए बहुत बहुत बधाई

ख. भाई छोटेलाल जी, हार्दिक धन्यवाद।

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब,प्रदत्त विषय को सार्थक करते अच्छे दोहे लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन। प्रशंसा के लिए आभार।

आदाब। पते की बात। सार्थक संदेश और आह्वान। ई़देमीलादुन्नबी के अवसर पर  इस बेहतरीन रचना से महाउत्सव का आग़ाज़ करने के लिए और ई़देमीलादुन्नबी की हार्दिक बधाई। हार्दिक शुभकामनाएं जनाब  लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब।

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