For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साथियो,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-101 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। 
:  
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-101
विषय : जिद्द
अवधि : 30-08-2023 से 31-08-2023 
.
अति आवश्यक सूचना:-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पाए इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है। देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.    
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सकें है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)

Views: 827

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

बुल्डोजर - लघुकथा -  

"एस० पी० साहब, मंत्री जी का आदेश आया था कि रोशन मुहल्ले में उनके बड़े भाई साहब रहते हैं।वे देश के बीफ़ के बहुत बड़े एक्स्पोर्टर हैं। उनके बंगले के सामने उनके एक विरोधी बीफ़ एक्स्पोर्टर ने उनके बंगले से भी बड़ा बंगला बना लिया है। वहाँ रविवार को बुल्डोजर भेजना था।अभी तक नहीं गया।कारण पूछा है। क्या जवाब देना है?”

"मगर वह बंगला तो हर तरह से लीगल बना हुआ है। सारे काग़ज़ात सही हैं । साथ ही वह विरोधी पार्टी का खास आदमी है।

"सर जी, असल में उसका धर्म आड़े आ रहा है।

"लेकिन उसको इस बात की भनक लग चुकी थी। इसलिये उसने अदालत से स्टे भी ले रखा है।

"साहब, आप ये सब कहानी किस्से मंत्री जी को सुनाओ।मुझे मत कहो। आप ख़ुद बात कर लो।

"अरे जनाब, बर्र के छत्ते में हाथ कौन डाले। आप तो मंत्री जी के तेवर देख चुके हो।

"सब देखा है सर। आई० जी० मिश्रा साहब जी ने एक आदेश लिखित में मांग लिया था। बेचारे नौकरी गंवा बैठे। दो साल से कोर्ट कचहरी के चक्कर लगा रहे हैं। कोई राहत नहीं मिल रही।

शायद मिलेगी भी नहीं ।देखो भैया, बच्चे पालने हैं तो जो राजा बोले चुपचाप ,सर झुका कर करते रहो।

"भले ही वह आदेश गैर कानूनी हो।

"अब तो इस देश में राजा की जुबान से निकला हर शब्द कानून है।

मौलिक एवं अप्रकाशित

आदाब। हार्दिक बधाई आयोजन की पहली बढ़िया विषयांतर्गत पेशकश हेतु आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। कड़वे सच.. कड़वी ज़िदें और हदें!

हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।

आ. भाई तेजवीर जी, सादर अभिवादन। अच्छी लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।

हार्दिक आभार आदरणीय धामी जी।

राजसत्ता पर तंज कसती एक जोरदार लघुकथा हेतु बधाइयाँ आ. तेजवीर जी। 

हार्दिक आभार आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।

समकालीन राजनीति और राजहठ पर केंद्रित उत्तम रचना। बहुत बधाई आदरणीय तेजवीर जी 

कहीं रफ़ू, कहीं थिगड़़े (लघुकथा) :


इंजीनियर असलम साहब एक नये ठेले वाले को सब्ज़ी के पैसे ऑनलाइन अदा कर अपने मोबाइल की स्क्रीन पर दिखे उसके नाम को पढ़कर अबकी बार फ़िर से चौंक गये और बोले, "यार, तुम भी वही! .. जितने भी ठेलों वगैरह से कुछ ख़रीदकर जब भी ऑनलाइन पेमेंट करता हूँ, तुम्हारी ही जैसी जाति के लोगों के नाम आते हैं सामने! दूसरी किसी क़ौम के नहीं!"
"आपका इशारा समझ रये हैं साब! दरअसल अकेले वैसी क़ौम के लोग ही नहीं... पढ़े-लिखे डिग्रीधारी भी ठेले लगाने में शर्म महसूस करते हैं और वहीं के वहीं सड़ रहे हैं, जहाँ वे थे। साहब, ऐसा अपने शहर में ही नहीं सारे हिंदुस्तान में पाओगे आप!" सब्ज़ी ठेले वाला उस नये ग्राहक की ओर देखते हुए कुछ भाँपते हुए बोला, "आप तो जानतेई हो साब... कुछ लोग पंक्चर सुधार-सुधार कर अपनी ज़िन्दगी और समाज को भी पंक्चर ही कर रये हैं.. और कुछ हैं हम जैसे, बस!"


(मौलिक व अप्रकाशित)

सच है भाई उस्मानी जी कि लोग मिथ्यभिमान वश भी नाम बदलकर, वेश बदलकर  अपनी रोजी निबाहते हैं। काम प्रधान है, नाम या जाति नहीं। कदाचित, जाति और कौम को अलग करके देखा जाना चाहिए। अच्छी लघुकथा की बधाइयाँ लें। नमन। 

शुक्रिया आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। वैसे अभी तक मेरे अनुभव में ऐसा नहीं आया है..कि..//नाम बदलकर, वेश बदलकर  अपनी रोजी निबाहते हैं //.. मेरे अनुभव में इसी सप्ताह रचना अनुसार प्रसंग स्वयं के साथ हुआ है।

आ. भाई शेख शहजाद जी, सादर अभिवादन। अच्छी लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई। 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Shyam Narain Verma replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल की प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल : निभत बा दरद से // सौरभ

जवन घाव पाकी उहे दी दवाईनिभत बा दरद से निभे दीं मिताई  बजर लीं भले खून माथा चढ़ावत कइलका कहाई अलाई…See More
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service