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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग-1)

साथियों,
"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -1) अत्यधिक डाटा दबाव के कारण पृष्ठ जम्प आदि की शिकायत प्राप्त हो रही है जिसके कारण "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2) तैयार किया गया है, अनुरोध है कि कृपया भाग -1 में केवल टिप्पणियों को पोस्ट करें एवं अपनी ग़ज़ल भाग -2 में पोस्ट करें.....

कृपया मुशायरे सम्बंधित अधिक जानकारी एवं मुशायरा भाग 2 में प्रवेश हेतु नीचे दी गयी लिंक क्लिक करें 

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-100 (भाग -2)

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2122 1212 112/22

ग़म का चेहरा यूँ भा गया है मुझे
अब तो हँसना भी आ गया है मुझे //1

मुझपे आइद है लब की पाबंदी
सद्र सबका चुना गया है मुझे //2

माना अशआर के नये निकले
जब भी दिल से सुना गया है मुझे //3

तू न डर बात अपनी कहने से
छुपके रोना तो आ गया है मुझे //4

अहले साहिल अजीब लगते हैं
इश्क़ जब से डुबा गया है मुझे//5

नेमते आशिक़ी नहीं कम ये
सब्र करना तो आ गया है मुझे //6

एक झोंके से शोले भड़के थे
एक झोंका बुझा गया है मुझे //7

फूल सी मीठी नींद देने वालो
वक़्त काँटा चुभा गया है मुझे //8

सोच में अब भी तेरी जकड़न है
इस क़दर तू दबा गया है मुझे //9

राज़ मुझको को मिटाना है मुश्किल
ख़ूने दिल से लिखा गया है मुझे //10

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

कामयाब कौशिश राज जी। बढ़िया लगा पढ़कर।

शेर और समय मांग रहे हैं। 

आदरणीय अजय गुप्ता जी, ग़ज़ल में शिरकत के लिए ह्रदय से आभार. 

जनाब राज़ नवादवी साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

3,4,6,7नम्बर के अशआर में तक़ाबुल-ए-रदीफ़ देखें ।

आदरणीय समर साहब, आपकी इस्लाह और हौसला अफज़ाई का ह्रदय से आभार 

वाह.. बेहतरीन अशआर नंबर 1-2-4-5-7-8-10 सहित बेहतरीन ग़ज़ल। हार्दिक बधाई आदरणीय राज़ नवादवी साहिब।

आदरणीय शेख शहजाद साहब, आपकी सुखन नवाज़ी और हौसला अफज़ाई का दिल से शुक्रिया. 

आदरणीय राज भाई बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई शेर दर शेर दाद कबूल कीजिए

आदरणीय अमित कुमार जी, आपकी दाद ओ तहसीन का दिल से आभार 

वाह्ह्ह आद० राज़ जी बहुत बढिया ग़ज़ल कही है सभी अशआर शानदार हुए बहुत बहुत बधाई .आद० समर भाई जी की बात पर गौर करें 

आदरणीया राजेश बहना जी, आपकी हौसला अफज़ाई और इस्लाह का ह्रदय से आभार 

जनाब राज़ नवादवी साहिब,

ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद आपको

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"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
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"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
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