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भाई-एक विश्वास

एक भ्रात है भरत के जैसा,

जिसमें कुछ पाने का भाव नहीं

समर्पित करता भ्रात चरण में,

राज्य संग सुख, चैन सभी ||

 

तिलभर भी छल ना मन में,

जग भी उसके साथ नहीं

कठोरता/ताने सहता सारे जन की,

मातृ की करनी उसकी सभी ||

 

विभीषण भी एक भ्रात उधर है

सिंहासन पर जिसकी आँख लगी

कठिन समय में भ्रात छोड़ता,

शत्रुओं को बताता भेद सभी ||

 

ना अंतक्रिया भी भ्रात की करता

सुख-भोग से भी इंकार नहीं

मौका मिले तो विवाह भी करले

माँ समान अपनी भाभी अभी ||

 

गूढ ज्ञान है दोनों भ्रात में

ये देव-दानव की बात नहीं

एक बना सदा शक्ति भ्रात की

दूजे को चाहिए सुख सभी ||  

 

दोनों भ्रात में अंतर कितना

केवल, ये राम राज्य की बात नहीं

हर चरित्र को धारण करते

समाज में है ऐसा लोग अभी ||

मौलिक व अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by Samar kabeer on December 21, 2020 at 5:23pm

जनाब फूल सिंह जी आदाब, अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 16, 2020 at 1:49pm

आ. भाई फूलसिंह जी, सादर अभिवादन । उत्तम रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

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