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DINESH KUMAR VISHWAKARMA
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DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीया सादर अभिवादन स्वीकार करें। 7वाँ शे'र पसन्द आया। बधाई आपको।"
Feb 25
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय 'अमीर' जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। तिनका-तिनका चुन रखा था, यह शे'र पसन्द आया। बधाई आपको"
Feb 25
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय samar kabeer जी, आपको सादर प्रणाम ।इस्लाह हेतु आपका हृदयतल से आभार।"
Feb 24
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, सादर अभिवादन स्वीकार कीजिए। ग़ज़ल के प्रयास हेतु बधाई । खूबसूरत सा वो चहरा... मिसरा अच्छा है।"
Feb 24
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय लक्ष्मण जी सादर अभिवादन स्वीकार करें । सुझाव हेतु आभार। धुआँ शब्द हेतु मुझे लगा कि आँ की ध्वनि है तो किया जा सकता है। बाकी गुणीजन जो सलाह दें, उचित होगा।"
Feb 24
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय संजय जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। इस्लाह हेतु आभार। दास्ताँ शब्द ऊपर उदाहरण में देखा, फिर प्रदत्त मिसरे के ग़ज़ल में भी यह प्रयोग हुआ तो संशय था। यद्यपि यह स्त्रीलिंग शब्द है, आप गुणीजनों के सुझाव से और स्पष्ट हो गया।"
Feb 24
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय अमित जी नमस्कार। इस्लाह हेतु आभार आपका।"
Feb 24
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय अमित जी नमस्कार। ग़ज़ल के प्रयास हेतु बधाई।"
Feb 24
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय लक्ष्मण जी सादर अभिवादन स्वीकार करें। ग़ज़ल के प्रयास हेतु बधाई।"
Feb 24
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"आदरणीय zaif जी, सादर नमस्कार । 4था शे'र बहुत अच्छा है।"
Feb 24
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-152
"दर्द की मिक़दार से मेरा जहाँ बनता गया ।जैसे गुल में ख़ार से हर गुलसिताँ बनता गया । 1 वक़्त की इस मार ने क्या-क्या दिखाया उम्र भरकुछ ज़मीं ढहती गई कुछ आसमाँ बनता गया । 2 अपने-अपने दौर में जो जब्र से टकरा गएमिट गए लेकिन उन्हीं का दास्ताँ बनता गया ।…"
Feb 24
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-151
"आदरणीया रचना भाटिया जी, सादर अभिवादन स्वीकार करें। भाव पूर्ण ग़ज़ल के प्रयास हेतु बधाई । 2रा शे'र अच्छा बन पड़ा है। "
Jan 28
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-151
"आदरणीय नादिर ख़ान जी, नमस्कार ।5,6,7वाँ शे'र पसन्द आया।बधाई आपको"
Jan 28
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-151
"आदरणीय आशीष जी नमस्कार । आपको अच्छे प्रयास हेतु बधाई। आदरणीय  Euphonic Amit जी द्वारा जो इस्लाह दी गई है। यक़ीनन बहुत सीखने मिला है। मैं आदरणीय अमित जी को भी नमन करता हूँ, बारीकियाँ समझाने हेतु।"
Jan 28
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-151
"आदरणीय दण्डपाणि नाहक जी नमस्कार। ग़ज़ल पर प्रतिक्रिया हेतु हृदयतल से आभार आपका।"
Jan 28
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-151
"आदरणीय zaif जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल तक आने व हौसला बढ़ाने हेतु आभार आपका।"
Jan 28

Profile Information

Gender
Male
City State
kondagaon
Native Place
kondagaon
Profession
teacher
About me
poet

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ग़ज़ल

ग़ज़ल

1222/1222/1222/1222

वही जज़्बा वही लहजा लिए अख़बार आता है

मगर उस हादसे से क्यूँ परे अख़बार आता है ।

चुनावी दौर के वादे मुकम्मल हो न हो लेकिन

तुम्हे भी हो ख़बर घर पर मेरे अख़बार आता है ।

जो भर्तियाँ अटकी हैं उनका क्या हुआ होगा

अभी तो कोर्ट से लड़ते हुए अख़बार आता है ।

यकीनन सच को ही तो सामने आना जरूरी था

अगरचे झूठ के नीचे दबे अख़बार आता है ।

जो उनके पैरहन का रंग भी चर्चा में आ जाए

यहाँ मातम…

Continue

Posted on March 1, 2022 at 6:00pm

 
 
 

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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, क्या यह अब ठीक है ? जीवटता जो लिए कुटज सी, है वही समय से जीता ।हठी न जिसकी रही…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"जी, सादर आभार।"
Sunday

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Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय."
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" अंक 143 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर"
Sunday

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