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"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-119

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 119वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब  अहमद फराज़ साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|

"इस आशिक़ी में जान से जाना बहुत हुआ "

221    2121     1221          212

 

मफ़ऊलु       फाईलातु       मफ़ाईलु       फ़ाइलुन

(बह्र:  मुजारे मुसम्मन् अखरब मक्फूफ महजूफ  )

रदीफ़ :- बहुत हुआ ।
काफिया :- आना( जाना, मिलना, बढ़ाना, बहाना  आदि)

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 22 मई दिन शुक्रवार को हो जाएगी और दिनांक 23 मई दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

 

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 22 मई दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
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मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

आ. नाकाम जी,
अच्छी कोशिश है .. गुणीजनों की बातों का संज्ञान लें 
सादर 

नाकाम जी ग़ज़ल पर प्रयास अच्छा किया समर भाई जी की बातें काबिले गौर हैं।थोड़ा सा वक़्त और देंगेतो ग़ज़ल बेहतर हो जाएगी।

आद0 नाकाम जी सादर अभिवादन। बढ़िया ग़ज़ल कही आपने। बहुत बहुत बधाई आपको

आदरणीय नाकाम जी ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है बधाई स्वीकार करें 

 आदरनीय , नाकाम जी , अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई हो 

शिकवे-गिले सुनाना, सताना बहुत हुआ।

बाहों में आ भी जाओ, बहाना बहुत हुआ।

फिर फूल मुस्कुराये, बहारें जवाँ हुईं

मौसम शरीर फिर से दीवाना बहुत हुआ।

आँखों में है उदासी, जिगर में भी दर्द है

देखे हुए किसी को ज़माना बहुत हुआ।

कितनी दफ़ा बतायें सबब हादसे का हम

अब छोड़िए भी, क़िस्सा पुराना बहुत हुआ।

ऐ हुक्मराँ न और सितम कर अवाम पर

हम बेकसों के दिल को दुखाना बहुत हुआ।

अहमद फ़राज़ ठीक ही फ़रमा गये हैं ये

[[इस आशिक़ी में जान से जाना बहुत हुआ]]

‘आकाश’ मैकदे की डगर क्यों न थाम लें

सीने में रंजो-ग़म का ठिकाना बहुत हुआ।

[[मौलिक-अप्रकाशित]]

जनाब अजीत शर्मा 'आकाश' जी आदाब, काफ़ी समय बाद ओबीओ पर आपकी ग़ज़ल पढ़ने का मौक़ा मिला ।

तरही मिसरे पर अच्छी ग़ज़ल कही आपने, बधाई स्वीकार करें ।

'मौसम शरीर फिर से दीवाना बहुत हुआ'

इस मिसरे की बह्र गड़बड़ हो रही है,'दीवाना' को "दिवाना" कर लें ।

'कितनी दफ़ा बतायें सबब हादसे का हम' 

इस मिसरे में सहीह शब्द "दफ़'अ" 21 है, देखियेगा ।

आपके आशीर्वचनों के लिए हार्दिक आभारी हूँ, आ0 समर कबीर साहब।

पढ़ते समय 'दीवाना' में मात्रा गिराकर दिवाना नहीं पढ़ा जा सकता क्या ?  या 'दिवाना' ही लिखना चाहिए ?

सहीह शब्द "दफ़'अ" 21 के बारे में जानकारी नहीं थी मुझे। इसके लिए आपका अत्यन्त आभार .... सादर !!!

'दिवाना' शब्द 'दीवाना' का मुखफ़्फ़फ़ यानी short form है इसलिए "दिवाना" लिखना ही सहीह है ।

धन्यवाद !!!

अजीत शर्मा जी बहुत सुंदर गज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें।

हार्दिक आभार आ0 दयाराम मैथानी जी !!!

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"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।हार्दिक आभार "
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"किसी भोजपुरी रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्द्धन किया जाना मुझे अभिभूत कर रहा है। हार्दिक बधाई,…"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
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Shyam Narain Verma replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल की प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
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