Comment
आदरणीय डॉ विजय सा.
सरकार बना दी , लोगों से छीन कर .bahut hi sundar rachna ke liya tahe dil se badhai.
वाह सर वाकई लोकतंत्र की नई परिभाषा ........................
आदरणीय डॉ विजय शंकर सर , सुन्दर रचना..
अपनी स्वतंत्रता , अपना राज , अपनी सरकार
सब कुछ अपना अपना है , दूजे सब बेकार.... हार्दिक बधाई , सादर !
....खुद अपनी हो सरकार तो
.....ज्यादा ही अड़ा अड़ा सा लगता है ॥
सार्थक सुन्दर प्रस्तुति....... आदरणीय डा. विजय शंकर जी.
विजय सर !
मित शब्दों में पते की बात i सुन्दर i
सच का कम ही पंक्तियों में बखान करती, बहुत सार्थक प्रस्तुति. बधाई स्वीकारें आदरणीय डा. विजय जी
vaah yhi to sty hai ,apni manyta ka shashn ho aur apni baat chle,sunder rchna aadrniy
सत्य को बखानती बहुत ही सुन्दर रचना हुई है ..आ० भाई विजय शंकर जी हार्दिक बधाई l
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