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आपके विचारों से , चिंतन से सहमत हूँ , आदरणीय , बहत सही | आपको दिली बधाइयाँ !
बहुत बढ़िया चिंतन. बधाई आपको आदरनीय
बच्चे हैं , खिलौनों से खेलने व सीखने दो
सत्ता के खेल सत्ताधीशों को खेलने दो |.................... आ० आप को बहुत बधाई
अभी तक हम यही तो करते आये हैं ,
जिन हाथों में खिलौने होने चाहिए उन्हें
पतवार की जिम्मेदारी देते आये हैं ,
जिन हाथों में पतवार का भार चाहिए था
वो हर चीज से खेलते सीखते आये हैं |
मनन करने योग्य चिंतनीय रचना, आदरणीय डॉ साहब!
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