For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नव विहान का गीत मनोहर गाता चल।
जीवन में मुस्काता चल।।

मन मराल को कभी मनोहत मत करना ।
हो कण्टक परिविद्ध तनिक भी ना डरना।
गम को भूल सभी से नेह लगाता चल।
जीवन में मुस्काता चल।।

वैर भाव की ये खाई पट जाएगी।
वर्गभेद तम की बदली छँट जाएगी।
बनकर मयार मधुत्व रस छलकाता चल।
जीवन में मुस्काता चल।।

महदाशा रख मर्ष भाव अंतर्मन में
जानराय बन ओज जगाओ जनजन में।
हो भवितव्य पुनर्नव राह बनाता चल।
जीवन में मुस्काता चल।।

परिक्षाम हृतपीड़ा मिलकर दूर करो।
बन भवनिष्ठ मनस्तल के मद चूर करो।
मनोराग मन से हरपल बरसाता चल।
जीवन में मुस्काता चल।।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 551

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on January 7, 2020 at 3:04pm

सुन्दर गीत के लिए बधाई, मित्र छोटेलाल सिंह जी।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 7, 2020 at 7:00am

प्रस्तुति प्रभावी है, इस हेतु आपकेे रचनाकर्म के प्रति साधुवाद. प्रयास बना रहे. 

किंतु, एक बात जो समझ में न आयी, कि, आपने प्रस्तुत गीत को नवगीत की श्रेणी में किस आधार पर रख दिया ? अन्यथा का वर्गीकरण रचना की गरिमा के प्रति आश्वस्त नहीं होने देता.

शुभातिशुभ

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 3, 2020 at 6:19am

आ. भाई छोटेलाल जी,  सादर अभिवादन। नवगीत के रूप में बेहतरीन प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार कीजिए।

Comment by आशीष यादव on January 2, 2020 at 9:40pm

मधुर शहद सी सुन्दर गीत सुनाता चल.........

 बहुत सुन्दर।

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on January 2, 2020 at 9:07pm

आदरणीया डॉ गीता चौधरी जी उत्साह वर्धन के लिए आपका बहुत बहुत आभार

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on January 2, 2020 at 9:06pm

भाई सुरेन्द्र जी उत्साह वर्धन के लिए दिल से आभार

Comment by नाथ सोनांचली on January 1, 2020 at 6:25pm

आद0 छोटेलाल भैया सादर अभिवादन। नवगीत के रूप में बेहतरीन प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार कीजिए। सादर

Comment by Dr. Geeta Chaudhary on January 1, 2020 at 3:49pm

आदरणीय डॉ० छोटेलाल सिह जी गीत बहुत अच्छा लगा। हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"मुस्काए दोस्त हम सुकून आली संस्कार आज फिर दिखा गाली   वाहहह क्या खूब  ग़ज़ल '…"
8 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२२१/२१२१/१२२१/२१२ ***** जिनकी ज़बाँ से सुनते  हैं गहना ज़मीर है हमको उन्हीं की आँखों में पढ़ना ज़मीर…See More
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन एवं स्नेह के लिए आभार। आपका स्नेहाशीष…"
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आपको प्रयास सार्थक लगा, इस हेतु हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी जी. "
Wednesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार आदरणीय । बहुत…"
Wednesday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
Tuesday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। सुंदर, सार्थक और वर्मतमान राजनीनीतिक परिप्रेक्ष में समसामयिक रचना हुई…"
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

नजरें मंडी हो गईं, नजर हुई  लाचार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार ।। नजरों से छुपता…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service