For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एनकाउंटर(लघुकथा)

'कभी - कभी विपरीत विचारों में टकराव हो जाया करता है। चाहे - अनचाहे ढंग से अवांछित लोग मिल जाते हैं,या वैसी स्थितियां प्रकट हो जाती हैं। या विपरीत कार्य - व्यवसाय के लोगों के बीच अपने - अपने कर्तव्य - निर्वहन को लेकर मरने - मारने तक की नौबत आ जाती है। यदा कदा तो परस्पर की लड़ाई भिड़ाई में प्राणी इहलोक - परलोक के बीच का भेद भी भुला बैठते हैं।अभी यहां हैं,तो तुरंत ऊपर पहुंच जाते हैं।पहुंचा भी दिए जाते हैं।' प्रोफेसर पांडेय ने अपना लंबा कथन समाप्त किया। मंगल और झगरू उनका मुंह देखते रह गए।
' टुकुर टुकुर मेरा मुंह क्या देख रहे हो भाई?कुछ पल्ले पड़ा भी, कि नहीं?'
'....नहीं।' दोनों ने एक साथ प्रोफेसर को जवाब दिया।
' अच्छा। तो ऐसे समझो, कि जब एक दूसरे की बात से सहमत न हों,काम पसंद न करें या एक दूसरे के काम में बाधक बनने लगें,तो इसे टकराव ....मतभेद...या विरोधी पर बल - प्रदर्शन को मुठभेड़ या एनकाउंटर भी कहते हैं।'
' अच्छा तो आप एनकाउंटर के बारे में बोल रहे थे? तो साफ साफ कह सकते।अभी तो एनकाउंटर से बच्चा बच्चा वाकिफ है प्रोफेसर साहिब।' मंगल और झगरू प्रोफेसर को बड़ी हीन दृष्टि से देखते हुए बोले।
'...हूं।' प्रोफेसर गहरी सांस छोड़ते हुए इतना ही कह पाए।
' नाराज मत होइए साहिब।यह तो आजकल में ही हुआ है।और फिर करने की मांग चल रही है।'
' मांग चल रही है?' प्रोफेसर ने चुटकी ली।
' हां भई! कल के एनकाउंटर की खूब सराहना भी हुई है।पुलिस की पीठ थपथपाई हो रही है।'
' तुम लोग क्या सोचते हो?'
' बहन - बेटियां किसके घर में नहीं हैं?आप ही कहिए,क्या यह ग़लत हुआ? जैसे को तैसा जवाब मिला।गए स्सले सब परलोक...हुस्न की परियों से कुलेल करें अब। पुलिस ने एनकाउंटर करके ठीक किया है।'
' एनकाउंटर किया नहीं जाता,हो जाता है,जब अपराधी जांच - कार्य में अन्यथा स्थिति पैदा करने लगते हैं या भागने की कोशिश करते हैं,तब यह एकमात्र विकल्प होता है पुलिस के पास।'
' फिर लोग क्यों कह रहे हैं कि एनकाउंटर किया गया है?'
' किया नहीं गया,हो गया।'
' तो फिर और अपराधियों का एनकाउंटर करने की मांग क्यों हो रही है?'
' मांग न्याय करने की हो रही है, फौरी तौर पर।'
' मसलन,जैसे एनकाउंटर हुआ?'
' हां,क्योंकि वह जल्दी हो जाता है।और लगता है कि न्याय हो गया।'
' तो क्या न्याय भी इतनी जल्दी संभव है?'
' थोड़ा समय लगता है।पर इतना भी न लगे कि लोग एनकाउंटर की ही मांग पर उतर आएं।'
' सही बोले प्रोफेसर जी,बिलकुल सही।वैसे न्याय होने लगे,तो फिर ऐसे न्याय की जरूरत ही न पड़े।'
' सहमत।' प्रोफेसर ने दाएं हाथ की मुट्ठी भींचते हुए कहा फिर तीनों की मुट्ठियां आसमान की तरफ उठ गईं।और एक समवेत स्वर गूंज गया -
' यही सच है।'
मुहल्ले के ढेर - सारे लोग एकत्र हो चुके थे।

.
'मौलिक व अप्रकाशित'

Views: 477

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष यादव on December 15, 2019 at 6:34pm

जी बिलकुल, "यही सच है"। अच्छी लघुकथा।

Comment by Manan Kumar singh on December 13, 2019 at 9:55pm

शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण जी।

Comment by Manan Kumar singh on December 13, 2019 at 9:55pm

शुक्रिया आदरणीय समर जी।

Comment by Samar kabeer on December 13, 2019 at 2:43pm

जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,अच्छी लघुकथा लिखी आपने,बधाई स्वीकार करें ।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 9, 2019 at 11:58am

आ. भाई मनन जी, समसामयिक विषय पर अच्छी कथा हुई है । हार्दिक बधाई।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
7 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति से प्रसन्नता हुई। हार्दिक आभार। विस्तार से दोष…"
Friday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Mar 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Mar 2
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service