For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

होली के दोहे :

हिलमिल होली खेलिए, सब अपनों के संग।
रिश्तों में रस घोलिए, मिटा घृणा के रंग।। १

रंगों की बौछार में, बोले मन के तार।
अधर तटों को दीजिए, साजन अपना प्यार।। २

होली के हुड़दंग में , सिर चढ़ बोले भाँग।
करें ठिठोली मुर्गियाँ, मुर्गे देते बाँग।।३

तन-मन भीगे रंग में, मचली मन की प्यास।
अवगुंठन में नैन से, नैन रचाएं रास। ४

चाहे जितना कीजिए, होली पर हुड़दंग।
लग कर गले मिटाइये, नफरत के सब रंग।।५

गंधहीन रिश्ते हुए ,रंगहीन सब रंग।
रंगों के इस खेल में, हर मन है बेरंग।। ६

रंगों की अठखेलियाँ, तन पर करतीं वार।
अनुरोधों में हो गयी , प्रतिरोधों की हार।।७

इंद्रधनुष के रंग से, खुशियाँ मिलीं अपार।  
हर रिश्ते को मिल गया, अपनों का संसार।। ८

रंगों में सपने जड़े, हर सपने में रंग ।
अभिलाषा मुखरित हुई ,दिवा स्वप्न के संग।।९

अधरों पर है खेलती, एक मधुर मुस्कान।
तन पर रंगों ने रची, रिश्तों की पहचान।। १०

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 507

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on April 4, 2019 at 4:27pm

आद0  babitagupta  जी सृजन पर आपकी मधुर प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on April 4, 2019 at 4:27pm

आदरणीय Hariom Shrivastava जी सृजन पर आपकी मधुर प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by babitagupta on March 30, 2019 at 12:15am

 गंधहीन रिश्ते हुये, बढिया पंक्ति,  बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीय सुशील सरजी।

Comment by Hariom Shrivastava on March 29, 2019 at 12:50pm

वाहह,वाहहह,लाजवाब दोहे

Comment by Sushil Sarna on March 26, 2019 at 6:55pm


आदरणीय समर कबीर साहिब आदाब , सृजन के भावों को आत्मीय स्नेह से अलंकृत करने का दिल से आभार। सर आपके द्वारा इंगित टंकण त्रुटि और तकनीकी त्रुटि के लिए दिल से आभार। इसे मैं अभी संशोधित करता हूँ। चूक के लिए क्षमा मांगता हूँ सर। सादर .... कृपया अपना स्नेह बनाएं रखें।

Comment by Samar kabeer on March 26, 2019 at 2:37pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब,होली पर अच्छे दोहे लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

' मुर्गे देंगे बाँग'

इसमें 'देंगे' को "देते" कर लें ।

'इंद्रधनुषी रंगों से'

विषम चरण के अंत में 212 चाहिए?

Comment by Sushil Sarna on March 23, 2019 at 4:04pm
आदरणीय शेख़ उस्मानी साहिब, आदाब .... सृजन के आत्मीय भावों से अलंकृत करने का दिल से आभार। आपका स्नेह मेरी अमूल्य निधि है। आपके इस प्रेम का तहे दिल से शुक्रिया।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on March 22, 2019 at 8:05pm

आदाब। वाह। रंगोत्सव पर रंगों , जीवन-रंगों और रिश्तों के भाव-रंगों को यथार्थ के शब्द-रंग देती बेहतरीन दोहावली हेतु हार्दिक बधाई और आभार हमें यूं समसामयिक मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु आदरणीय सुशील सरना साहिब।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
5 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service