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यहां इंसानियत से गर सभी का राबिता होता ।।
यकीनन मुल्क का यह सर नहीं झुकता मिला होता ।।1
मुहब्बत के उसूलों को अगर उसने पढ़ा होता ।
न कोई तिश्नगी होती न कोई हादसा होता ।।2
बहुत बेचैन दरिया की उसे पहचान है शायद ।
वग़रना वह समंदर तो नदी को ढूढ़ता होता ।।3
तुम्हारी शर्त को हम मान लेते बेसबब यारों।
हमें अंजामे रुसवाई अगर इतना पता होता ।।4
सियासत दां से गर मिलता कहीं अमनो सुकूँ कोई।
तो उनका भी भला होता हमारा भी भला होता ।।5
अमीरों की हिमायत में न होते आप तो शायद ।
नहीं मुफ़लिस की दीवारों पे बुलडोजर चला होता ।।6
कदम को चूम लेती कामयाबी एक दिन बेशक ।
बचा तेरे इरादों में अगर कुछ हौसला होता ।।7
निभे हैं कब वहां रिश्ते बिखरते टूटते पाये ।
जहाँ नज़दीकियों के बीच में कुछ फ़ासला होता ।।8
असर करतीं मेरी मजबूरियां जो आपके दिल तक।
तो मेरा भी यकीनन आप से ही वास्ता होता ।।9
परिंदा उड़ के आ जाता तुम्हारी बाग में लेकिन ।
कफ़स से भी निकलने का कोई तो रास्ता होता ।।10
जरा सा मुश्किलों पर गौर कर लेना जरूरी है ।
कोई इंशान मर्जी से नहीं अब बेवफ़ा होता ।।11
---नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
Comment
आ0 उपाध्याय जी सादर आभार ।
आ0 उपाध्याय जी सादर आभार ।
आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी, नमस्कार । अच्छी ग़ज़ल की पेशकश के लिए बधाई ।
जी,आपके शैर में "यारो" होना चाहिए ।
जी सर बहुत बहुत धन्यवाद । एक नई जानकारी मिली जो मुझे अब तक पता नहीं थी । शेर में यह स्पष्ट हो रहा है क्या कि लोग मुखातिब हैं ।
अगर मुख़ातिब(सम्बोधन) के लिए बोला या लिखा जाये तो यारो, दोस्तो, मित्रो लिखें और बोलेंगे,और अगर उनके ग़ायब यानी अनुपस्थिति में लिखें या बोलेंगे तो यारों, दोस्तों,मित्रों ।
जी बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय नवीन मणि जी. मेरी जानकारी के हिसाब से संबोधन में अनुस्वार नहीं लगता- "यारों का कहना है"//// यारो, मुझे कहना है". मंच के सुधिजन आगे प्रकाश डालेंगे. सादर.
आ0 राज नावादवी साहब शुक्रिया बाग़ वाले शेर में तुम्हारी को तुम्हारे कर दिया इंसान लिखा लेकिन यारों को यारो लिखना थोड़ा सा कन्फ्यूजन क्रियेट कर रहा है । हिंदी में हम सम्बोधन में कई मित्र को मित्रों बोलते हैं इसलिए यार को यारों लिख दिया ।
आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी,आदाब. अच्छी ग़ज़ल हुई है, बधाई स्वीकार करें.
'परिंदा उड़ के आ जाता तुम्हारी बाग में लेकिन ', बाग़ को पुल्लिंग होना चाहिए.
'कोई इंशान मर्जी से नहीं अब बेवफ़ा होता' में इंसान होना चाहिए.
'तुम्हारी शर्त को हम मान लेते बेसबब यारों' यारो होगा.
सादर
आ. भाई नवीन जी , सादर अभिवादन । बेहतरीन गजल हुयी है हार्दिक बधाई ।
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