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लघुकथा-पराकाष्ठा

मोबाइल पर मेल का नोटिफिकेशन देख मोहन की आँखें चमक उठीं।शायद पायल का मेल हो।जल्दी से मेल खोला..हाँ ,ठीक 17 दिन बाद पायल का मेल था।अक्सर मेल नोटिफिकेशन देख खिल जाता है मोहन लेकिन अक्सर मायूसी ही हाथ लगती।खैर देखूं तो सही क्या लिखा है...अपने चश्मे को ठीक करता हुआ मोहन मेल पढ़ने लगा।"56 को हो गईं हूँ मैं और आप भी 60-65 तो होंगे ही,अब तो बता दो क्या मायने रखती हूँ मैं?और क्यों?" पिछले 40 सालों से ये सवाल कई बार पूछा था पायल ने लेकिन "कुछ सवालों को लाजबाब रहने दो" कह कर हर बार टाल गया मोहन।पर आज!!अनायास ही आँखों में जानी पहचानी नमी तैर गई।वो चाह के भी इस सवाल को टाल नहीं पा रहा था।पिछले चालीस सालों से पता नहीं सांसें फेफड़ों को ढो रही थी या फेफड़े साँसों को अब लगता है दौनों ही थक चुके हैं।डा. ने भी आखिर हाथ खड़े कर दिए..पता नहीं कितने दिन बाकी हैं? हालाँकि बाहर से कभी पता नहीं चला कि वो इतना बीमार है।कांपते हाथों से लिखता चला गया वो "प्यार करता हूँ आपसे,तब से जब पहली बार आपको देखा था और तब तक जब तक सांसें चल रही हैं और शायद उसके बाद भी।कभी आप से कह न सका क्योंकि आपके काबिल था ही नहीं बस मेरी हर पूजा में यही प्रार्थना थी कि आप खुश रहो"।मेल सेंड कर फोन रखा ही था की घंटी बज उठी।किसका फोन है??कहते हुए मोहन ने फ़ोन रिसीव करते हुए कान से लगाया..कुछ क्षणों की ख़ामोशी और फिर उस ख़ामोशी को चीरती हुई सिसकियाँ जो धीरे धीरे बढ़ती ही जा रही थीं...बर्षों से आँखों में तैरती नमी आखिर आज तटबंध तोड़ मोहन को अंदर तक शीतल करती चली गई।कुछ भी नहीं था सिवाय निःशब्दता के...शायद यही प्रेम की पराकाष्ठा है।
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

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Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 24, 2018 at 9:40pm

आदरणीया नीलम जी हार्दिक आभार

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 24, 2018 at 8:56pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया बबीता जी...सादर

Comment by Neelam Upadhyaya on June 24, 2018 at 4:55pm

आदरणीय ब्रजेश कुमार जी, नमस्कार । अच्छी रचना की प्रस्तुति। बधाई स्वीकार करें।

Comment by babitagupta on June 24, 2018 at 3:22pm

बेहतरीन रचना के हार्दिक बधाई आदरणीय सरजी.

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 23, 2018 at 10:04pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय आरिफ जी...सादर

Comment by Mohammed Arif on June 23, 2018 at 9:14pm

आदरणीय बृजेश कुमार जी आदाब,

                             बहुत ही बेहतरीन लघुकथा । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 23, 2018 at 5:06pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय श्याम नारायण सिंह जी...सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 23, 2018 at 5:06pm

रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी...सादर

Comment by Shyam Narain Verma on June 23, 2018 at 10:37am
बहुत बढ़िया कहानी , हार्दिक बधाई आपको
Comment by TEJ VEER SINGH on June 23, 2018 at 8:02am

हार्दिक बधाई आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज जी।मार्मिक लघुकथा।

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