For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (हो गई उनकी महरबानी है)

(फाइलातुन _मफाइलुन_फेलुन)

कोई मुश्किल ज़रूर आनी है |
हो गई उनकी महरबानी है |

तिशनगी जो बुझाए लोगों की
तुझ में सागर कहाँ वो पानी है |

और मुझ से वो हो गए बद ज़न
बात यारों की जब से मानी है |

खा गई घर का चैन मँहगाई
उनकी जिस दिन से हुक्म रानी है |

ज़ख्म तू ने दिए हैं ले कर दिल 

जुल की फितरत तेरी पुरानी है |

इंक़लाब आए क्यूँ न बस्ती में
उन पे आई गज़ब जवानी है |

तरके उल्फत करें वही तस्दीक 

मुझको तो दोस्ती निभानी है |

(मौलिक व अप्रकाशित ) 

Views: 847

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 22, 2018 at 12:02pm

जनाब ब्रजेश कुमार साहिब  , ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया |

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 22, 2018 at 11:15am

अच्छी ग़ज़ल कही आदरणीय...

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 21, 2018 at 10:43am

मुह तरमा नीलम साहिबा, ग़ज़ल पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया |

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 21, 2018 at 10:42am

मुहतरम जनाब समर साहिब आ दाब  , ग़ज़ल  में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया | तरके इश्क़ करने पर तना फुर का एब हो रहा था इस लिए ऎसा किया | sher5 यूं कर दिया है "ज़ख्म तू ने दिए हैं दिल लेकर __जुल की फितरत तेरी पुरानी है" मक़ते का मिसरा यूँ कर लिया है | "तरके उलफत करें वही तस्दीक  "  सादर 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 21, 2018 at 10:28am

जनाब श्याम नारायण साहिब, ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया |

Comment by Neelam Upadhyaya on June 20, 2018 at 3:25pm

आदरणीय  तस्दीक अहमद जी, नमस्कार।  बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हुई है।  मुबारकबाद कुबूल करें।   

Comment by Samar kabeer on June 20, 2018 at 2:47pm

जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

पबचवें शैर में 'बेईमानी' को "बेइमानी" करना मुनासिब नहीं है,अगर असातिज़ा के यहाँ ऐसी कोई मिसाल हो तो बराह-ए-करम पेश करें ।

मक़्ते में 'तर्क-ए-प्यार'  की तरकीब भी ग़लत है,"तर्क-ए-इश्क़" कर सकते हैं ।

Comment by Shyam Narain Verma on June 20, 2018 at 10:57am
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल! आपको बहुत-बहुत बधाई!
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on June 20, 2018 at 10:48am

जनाब बसंत कुमार साहिब, ग़ज़ल पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया |

Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 20, 2018 at 10:14am

बहुत खूबसूरत अशआर हुए हैं , आनंद आ गया आदरणीय 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी , इस प्रयोगात्मक लघुकथा से इस गोष्ठी के शुभारंभ हेतु हार्दिक…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service