मफ ऊल _फाइलात_ मफाईल _फाइलुन
उलफत की गर नहीं तो अदावत की बात कर |
मेरे हबीब सिर्फ़ तू क़ुरबत की बात कर |
दीदार कर के आया हूँ मैं एक हसीन का
मुझ से न यार आज क़यामत की बात कर |
लोगों के बीच होने लगीं ख़त्म उलफतें
मज़हब के नाम पर न सियासत की बात कर |
तदबीर पर है सिर्फ नजूमी मुझे यकीं
तू देख कर लकीर न क़िस्मत की बात कर |
ईमान बेचता नहीं मैं हूँ सुखन सरा
मुझ से मेरे अज़ीज़ न दौलत की बात कर |
खिदमत तो वाल दैन की तू ने कभी न की
नादां ज़ुबान से न तू जन्नत की बात कर |
मुद्दत के बाद तुझ से अकेले मिले हैं वो
तस्दीक आज सिर्फ मुहब्बत की बात कर |
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी आदाब,
बहुत ही लाजवाब ग़ज़ल । हर शे'र माक़ूल । दिली मुबारक़बाद क़ुबूल करें ।
मुहतरम जनाब तेज वीर साहिब, ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया |
हार्दिक बधाई आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।लाज़वाब गज़ल।
लोगों के बीच होने लगीं ख़त्म उलफतें
मज़हब के नाम पर न सियासत की बात कर |
जनाब महेंद्र कुमार साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया |
ख़ूबसूरत ग़ज़ल है आदरणीय तस्दीक़ अहमद खान साहिब. दिली मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए. सादर.
जनाब नादिर साहिब आ दाब, ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I मिसरे में एक को गिरा कर इक पढ़ना है |
मुह तरमा रक्षीता साहिबा, ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I
आदरणीय तस्दीक़ जी, हर मिसरा बहुत ही खूबसूरत...मुबारकबाद कुबूल फरमायें ।
खिदमत तो वाल दैन की तू ने कभी न की
नादां ज़ुबान से न तू जन्नत की बात कर |
खूबसूरत गजल के लिए मुबारकबाद जनाब तसदीक साहब
दूसरे शेर मे एक हसीन की जगह इक हसीन होना चाहिए था टायपिंग मिस्टेक लग रहा है
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