(मफऊल _ फाइलात _ मफाईल _फाइलुन)
तक़दीर आज़माने की ज़हमत न कीजिए |
उस बे वफ़ा को पाने की हसरत न कीजिए |
बढ़ने लगी हैं नफरतें लोगों के दरमियाँ
मज़हब की आड़ ले के सियासत न कीजिए |
जलवे किसी हसीन के आया हूँ देख कर
महफ़िल में आज ज़िक्रे कियामत न कीजिए |
आवाज़ तो उठाइए हक़ के लिए मगर
इसके लिए वतन में बग़ावत न कीजिए |
बैठा है चोट खाके हसीनों से दिल पे वो
जो कह रहा था मुझ से मुहब्बत न कीजिए |
मुफलिस के घर ही लुटते हैं अक्सर फसाद में
अख़बार पढ़ के आज का हैरत न कीजिए |
रसमे वफ़ा निभाइए तस्दीक आप भी
खाकर फरेबे हुस्न शिकायत न कीजिए |
(मौलिक व अप्रकाशित
Comment
वाह वाह ,,, शेर दर शेर दाद कुबूल करें
आवाज़ तो उठाइए हक़ के लिए मगर
इसके लिए वतन में बग़ावत न कीजिए ..... बेहतरीन
मुह तरमा रक्षीता साहिबा आ दाब, ग़ज़ल पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया |
आदरणीय तस्दीक़ जी नमस्कार,
गजल पढकर बहुत आनंद आया..
हर शेर मुकम्मल...शेर दर शेर दाद के साथ मुबारकबाद कुबूल कीजिए ।।
मुहतरम जनाब रवि साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया |
आदरणीय तस्दीक साहब बहुत बढि़या ग़ज़ल कही आपने दिली मुबारक बाद हाजिर हैै
जनाब महेंद्र कुमार साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया |
मुहतरम जनाब आरिफ साहिब आ दाब , ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया |
आदरणीय तस्दीक़ अहमद खान जी, लाजवाब ग़ज़ल हुई है. हर शेर ख़ूबसूरत है. दिल से ढेर सारी बधाई प्रेषित है. सादर.
आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी आदाब,
बहुत ही धमाकेदार ग़ज़ल । हर शे'र कुछ कहता है । दिली मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए ।
जनाब गुम नाम साहिब, ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया | मतले के सानी मिसरे का क़ा फिया सही कर दिया है |
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