(फाइला तुन _फ इलातुन _फ इ ला तुन _फेलुन)
दोस्तों वक़्त के रहबर का तमाशा देखो |
कोई तकलीफ में, खुश कोई है फिरक़ा देखो |
कोई पत्थर की तरह आपकी ठोकर में है
मेरे महबूब ज़रा गौर से कूचा देखो |
आपको करना है दीदार गरीबी का अगर
जाके फुट पाथ का रातों में नज़ारा देखो |
हर किसी शख्स के हाथों में नहीं यूँ पत्थर
फ़िर कोई आ गया कूचे में दिवाना देखो |
गिडगिडाने से कभी हक़ नहीं मिल पाएगा
कर के तब्दील ज़रा दोस्तों लहजा देखो |
दर्द है दिल में, जिगर में है तड़प, आँखें नम
ले के आ या हूँ सनम तुहफे मैं क्या क्या देखो |
इस क़दर उनके ख़यालों ने मुझे महकाया
सूँघता है मुझे हर कोई गुलों सा देखो |
बाद में उंगली मेरी सम्त उठा लेना तुम
पहले आईने में अपना ज़रा चहरा देखो |
काम आते हैं कहाँ वक्ते मुसीबत अपने
अब किसी ग़ैर का तस्दीक सहारा देखो |
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
जनाब रामअवध साहिब, ग़ज़ल मेंआपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया |
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल है। सभी शेर बोलते हुये हैं। आदर्णीय बधाई
मुहतरमा राजेश कुमारी साहिबा , ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया |
मोहतरम जनाब तस्दीक जी ,बहुत शानदार ग़ज़ल कही है शेर दर शेर मुबारकबाद क़ुबूल फरमावें
जनाब शहज़ाद उस्मानी साहिब आ दाब, ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया |
दुनिया की ज़मीनी हक़ीक़त से रूबरू कराती बेहतरीन ग़ज़ल के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब तस्दीक़ अहमद ख़ान साहिब।
जनाब श्याम नारायण साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिर्कत और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया |
इस शानदार ग़ज़ल के लिए दिल से बधाईयाँ |
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