For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अधूरा रिश्ता (लघुकथा)

वार्ड के बिस्तर पर वह निढ़ाल पड़ा है, डॉक्टर कह रहे हैं कि ये नीला पड़ गया है, उन्होंने पुलिस को भी बुला लिया है |
“नीला तो पैदा होते समय ही था, अब क्या होगा ?”, किसी पास खड़े ने कहा | 
बात निकलती हुई इस पर आ कर रुक गई, सुबह तो नए कपड़े पहन और चौर बाज़ार से खरीदी काली एनक लगा कि गया था 
काले चश्में का एक फायदा तो ये था कि आंख का टीर भी नजर नही आता था |
अभी कुछ दिन हुए घर वाली रब को प्यारी हो गई थी | 
कुछ दिनों से लोग इस के घर अफ़सोस करने आ रहे थे|
मगर ऐसा हो जायेगा किसी को यकीन ही नहीं आ रहा था , ये कैसे हो गया ?
साथ आये लोग दो चिती में हैरान परेशान थे|
तभी दो लोग पोलिस के साथ वार्ड में दाखल हुए , उनमें से इक कह रहा था “साला छोटी का रिश्ता लेने गया था, अभी दिन भी क्या हुए थे? 
खुद ही शर्म करनी चाहिए थी रिश्ता मांगने से |
ये तो साली आधी घर वाली को पूरी घर वाली बनानी चाहता था | सरकारी नौकरी के बल पे | 
वो तो नहीं बन कर आई मगर अब वहां जा रहा है , यहां से वापस नहीं आएगा |
पोलिस रिपोर्ट तैयार क्ऱ रही थी और पास खड़े लोग बाहर को जाने लगे |

"मौलिक व अप्रकाशित"

      

Views: 615

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by babitagupta on May 14, 2018 at 6:04pm

अच्छी रचना प्रस्तुति के लिए आदरणीय सर जी बधाई स्वीकार कीजिए

Comment by Chetan Prakash on May 10, 2018 at 4:18pm

अंत लघु कथा के कथ्य को कदाचित भटकाता लगा।ऐसा लगा कथाकार एक सा थ कई लक्ष्यों को भेदना चाहता है।"ये तो साली आधी घर वाली को पूरी घर वाली  बनानी चाहता था | सरकारी नौकरी थी |  
वो तो नहीं बनी मगर अब  वहां जा रहा है , यहां से वापस नहीं आएगा  |
पोलिस रिपोर्ट तैयार क्ऱ रही थी और पास खड़े लोग बाहर को चल पड़े |"

Comment by Neelam Upadhyaya on May 8, 2018 at 3:51pm

अच्छी लघुकथा के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय मोहन बेगोवाल जी ।

Comment by Samar kabeer on May 5, 2018 at 4:08pm

जनाब मोहन बेगोवाल जी आदाब,अच्छी लघुकथा है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Mohan Begowal on May 5, 2018 at 1:56pm

वार्ड के बिस्तर पर वह निढ़ाल पड़ा है, डॉक्टर कह रहे हैं कि ये नीला पड़ गया है, उन्होंने पुलिस को भी बुला लिया है |
“नीला तो पैदा होते समय ही था, अब क्या होगा ?”, किसी पास खड़े ने कहा |
बात निकलती हुई इस पर आ कर रुक गई, सुबह तो नए कपड़े पहन और चौर बाज़ार से खरीदी काली एनक लगा कि गया था
काले चश्में का एक फायदा तो ये था कि आंख का टीर भी नजर नही आता था |
अभी कुछ दिन हुए घर वाली रब को प्यारी हो गई थी |
कुछ दिनों से लोग इस के घर अफ़सोस करने आ रहे थे|
मगर ऐसा हो जायेगा किसी को यकीन ही नहीं आ रहा था , ये कैसे हो गया ?
साथ आये लोग दो चिती में हैरान परेशान थे|
तभी दो लोग पोलिस के साथ वार्ड में दाखल हुए , उनमें से इक कह रहा था “साला छोटी का रिश्ता लेने गया था, अभी दिन भी क्या हुए थे?
खुद ही शर्म करनी चाहिए थी रिश्ता मांगने से |
ये तो साली आधी घर वाली को पूरी घर वाली बनानी चाहता था | सरकारी नौकरी के बल पे |
वो तो नहीं बन कर आई मगर अब वहां जा रहा है , यहां से वापस नहीं आएगा |
पोलिस रिपोर्ट तैयार क्ऱ रही थी और पास खड़े लोग बाहर को जाने लगे |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
8 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुइ है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"शुक्रिया ऋचा जी। बेशक़ अमित जी की सलाह उपयोगी होती है।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"बहुत शुक्रिया अमित भाई। वाक़ई बहुत मेहनत और वक़्त लगाते हो आप हर ग़ज़ल पर। आप का प्रयास और निश्चय…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service