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तुझे याद हो के न याद हो

11212 11212 11212 11212
तेरी रहमतों पे सवाल था तुझे याद हो के न याद हो ।
मुझे हो गया था मुगालता तुझे याद के न याद हो ।।1

तेरे इश्क़ में जो करार था तुझे याद हो के न याद हो ।
जो मिला था मुझको वो फ़लसफ़ा तुझे याद हो के न याद हो ।।2


वो गुरुर था तेरे हुस्न का जो नज़र से तेरी छलक गया ।
मेरे रास्ते का वो फ़ासला तुझे याद हो के न याद हो ।।3

वहां दफ़्न है तेरी याद सुन ,वो शजर भी कब से गवाह है ।
है मेरी वफ़ा का वो मकबरा तुझे याद हो कि न याद हो ।।4

वो तमाम उम्र गुजार दी तेरी इक अदा की फ़िराक़ में ।
मेरे ख्वाब का था वो हौसला तुझे याद हो के न याद हो ।।5

तेरे छत पे जो थी नजर गयी कोई रूह छू के मचल गयी ।
था नया नया सा वो सिलसिला तुझे याद हो के न याद हो ।।6

यूँ ही बेसबब थीं वो आधियाँ कई ख्वाहिशों को मिटा गयीं ।
मेरी जिंदगी का वो हादसा तुझे याद हो के न याद हो ।।7


नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 537

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Comment by Naveen Mani Tripathi on April 18, 2018 at 6:44pm
आ0 लक्ष्ममन धामी साहब आभार ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on April 18, 2018 at 6:44pm
आ0 लक्ष्ममन धामी साहब आभार ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 18, 2018 at 2:16pm

आ. भाई नवीन जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on April 17, 2018 at 7:33pm

आ0 रोहित डोबरियाल मल्हार साहब सादर आभार

Comment by Naveen Mani Tripathi on April 17, 2018 at 7:32pm

आ0 समर कबीर सर सादर नमन के साथ आभार 

Comment by Naveen Mani Tripathi on April 17, 2018 at 7:30pm

आ0 श्याम नारायण वर्मा साहब सादर आभार

Comment by Samar kabeer on April 17, 2018 at 10:54am

जनाब नवीन जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है, बधाई स्वीकार करें ।

छटे शैर के ऊला में 'तेरे छत' को "तेरी छत" कर लें ।

Comment by रोहित डोबरियाल "मल्हार" on April 16, 2018 at 11:10am

बहुत ही खूबसूरत .....हार्दिक बधाई

Comment by Shyam Narain Verma on April 14, 2018 at 10:54pm
बहूत ही लाजवाब,हार्दिक बधाई l सादर

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