For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल नूर की- ज़ालिम तुझ से डरे नहीं हैं..

22/ 22/ 22/ 22
ज़ालिम तुझ से डरे नहीं हैं,
हारे हैं .....पर मरे नहीं हैं.
.
और कुछ इक दिन ज़ुल्म चलेगा,
अभी पाप-घट भरे नहीं हैं. 
.
खोट है उस की नीयत में कुछ
पूरे हम भी खरे नहीं हैं.
.
कौन सी जन्नत कैसी क़यामात
ये सब मौत से परे नहीं हैं.
.
कहते हैं वो अपने मन की
पर मन की भी करे नहीं हैं.
.
गर्दभ होते ...घास तो चरते
साहिब.. घास भी चरे नहीं हैं.
.
बोल रहे हैं अपने कलम से
“नूर जी” चुप्पी धरे नहीं हैं.  
.
निलेश "नूर"
मौलिक अप्रकाशित   

 

Views: 694

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 11, 2018 at 6:38am

धन्यवाद आ सुरेंद्र भाई

Comment by नाथ सोनांचली on March 11, 2018 at 6:01am

आद0 नीलेश जी सादर अभिवादन। बढिया मारक ग़ज़ल कही आपने। पढ़कर मजा आ गया। बहुत बहुत बधाई और दाद इस ग़ज़ल पर। सादर

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 9, 2018 at 8:03pm

शुक्रिया आ. सलीम रज़ा साहब एवं आ. तस्दीक़ अहमद साहब...
यदि   मेरी ग़ज़ल आपको तक्तीअ के हिसाब से ग़लत लगती है या बह्र में फिट नहीं पाते हैं तो पहले जा कर आपको मीर तक़ी मीर साहब का गला पकड़ना चाहिये जिन्होंने मुझे उल्टा पुल्टा सिखा दिया...
.

आगे उस मुतकब्बिर के हम ख़ुदा ख़ुदा किया करते हैं

कब मौजूद ख़ुदा को वो मग़रूर-ए-ख़ुद-आरा जाने है.....
.
मार्च का महीना है, आप सब आयकर भरेंगे... उसमें कुछ छूट भी आपको मिलेगी... छूट का लाभ न लेना आपकी सुप्तता का परिचायक है...ईमानदारी का नहीं....
वैसे ही मात्रिक बहर या अन्य बहर की छूट का   लाभ न ले   पाना आपकी समस्या है मेरी नहीं...
आशा है आप भविष्य में ग़ज़ल का आनन्द लेंगे और इस गणितीय  जोड़ घटाव से ऊपर उठेंगे..
सादर 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 8, 2018 at 10:07pm

जनाब नीलेश साहिब ,छोटी बह्र में कामयाब कोशिश की आपने, लेकिन बह्र धोका दे गई । मतले के हिसाब से ग़ज़ल की बह्र (मफ ऊलन-फ़ा इलुन-फ ऊलन) है ।उस हिसाब से शेर2, शेर3उला मिसरा,शेर4,शेर5उला,शेर 6और शेर7 ,बह्र में नहीं लगते , एक बार चेक करियेगा।

Comment by SALIM RAZA REWA on March 8, 2018 at 10:05pm
जनाब नीलेश जी,
ग़ज़ल के लिए बधाई,
तक़तिय खटक रही है या बह्र कुछ और ही है,,,
22/ 22/ 22/ 22 इस बह्र में फिट नहीं हो पा रही है.. देखिएगा
Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 8, 2018 at 8:49pm

शुक्रिया आ. लक्ष्मण धामी जी 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 8, 2018 at 4:22pm

आ. भाई नीलेश जी, सुंदर गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 8, 2018 at 8:05am

शुक्रिया आ मोहम्मद आरिफ़ साहब

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 8, 2018 at 8:04am

शुक्रिया आ समर सर।

Comment by Mohammed Arif on March 7, 2018 at 2:47pm


कहते हैं वो अपने मन की 
पर मन की भी करे नहीं हैं. वाह! वाह!! क्या ख़ूब तंज़ है । मज़ा आ गया । बहुत ही उम्दा शे'र । हुज़ूर की ग़ज़ल जब भी आती है तो दिल को छू जाती । बेहतरीन मारक क्षमता वाली होती ।

                   हर शे'र मिसाइल की तरह दूर तक मार करने वाला । दिली मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए आदरतीय नीलेश जी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service