For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Nilesh Shevgaonkar's Blog (183)

ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो

.

तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो

जो मुझ में नुमायाँ फ़क़त तू ही तू हो.

.

ये रौशन ज़मीरी अमल एक माँगे

नदामत के अश्कों से दिल का वुज़ू हो.

.

जो तख़लीक़ सब की सभी से जुदा है

भला राह मुक्ति की क्यूँ  हू-ब-हू हो.

.

कभी हो ख़यालात से ज़ह’न ख़ाली

ख़लाओं से भी तो कभी गुफ़्तगू हो.

.

वो मुल्हिद नहीं हो मगर ये है मुमकिन

उसे बस सवालात करने की ख़ू हो.

(मुल्हिद--नास्तिक) (ख़ू -आदत)

.

निलेश "नूर"

मौलिक/…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on September 18, 2024 at 4:51pm — 4 Comments

ग़ज़ल नूर की -कुछ थे अधूरे काम सो आना पड़ा हमें.

.

कुछ थे अधूरे काम सो आना पड़ा हमें.

फ़ानी बदन में ख़ुद को समाना पड़ा हमें

.

जश्न-ए-जहान था ही नहीं अपने वास्ते

आ ही गए तो जश्न मनाना पड़ा हमें.

.

फिर जब पहेली मौत…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on January 11, 2024 at 11:53am — 6 Comments

ग़ज़ल नूर की - दफ़्तर में तू पहला दिख

.

दफ़्तर में तू पहला दिख

काम न कर पर करता दिख.

.

ये बाज़ार का मंतर है

सस्ता बिक पर महँगा दिख.

.

कर व्यवहार परायों सा…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on July 31, 2023 at 11:05am — 8 Comments

ग़ज़ल नूर की - नशे में लाख रहूँ पर बहक नहीं सकता

१२१२ ११२२ १२१२ २२ (११२)

.

नशे में लाख रहूँ पर बहक नहीं सकता

लबों से तल्ख़ियाँ दिल की मैं बक नहीं सकता.

.

मुझे ये डर है बयाबान में न खो जाऊं

मैं अपने आप में ज़्यादा भटक नहीं सकता.

.

कभी लगे है…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on July 19, 2023 at 3:22pm — 4 Comments

ग़ज़ल नूर की- चाहें किसी को और निबाहें किसी से हम

.

221 2121 1221 212 



चाहें किसी को और निबाहें किसी से हम

ख़ुश होईये कि हो ही गए आदमी से हम.

.

वो आते इस से क़ब्ल दवा काम कर गई

उकता गए हकीम की चारागरी से हम.

.

दीवार पर लगी हुई तस्वीर है अना

पीछे से झाँकती हुई इक छिपकली से हम.  

.

बन्दों में और ख़ुदा में अजब घालमेल है

हम से ही वो बना है, बने हैं उसी से हम.

.

सूरज नहीं हैं हम जो किसी रात से डरें

लड़ते रहेंगे सुब्ह तलक तीरगी से हम.

.

दुनिया की दौड़…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on June 28, 2023 at 5:00pm — 6 Comments

ग़ज़ल नूर की - अँधेरे पल में ख़ुद के ‘नूर’ का दीदार हो जाना

.

अँधेरे पल में ख़ुद के ‘नूर’ का दीदार हो जाना

ये ऐसा है कि दुनियावी बदन के पार हो जाना.

.

कई सदियों से बस किरदार बन कर थक चुका हूँ मैं

मेरी है मुख़्तसर ख़्वाहिश कहानी-कार हो जाना.

.

दुआ है, जान है जब तक मेरा ये जिस्म चल जाए

बहुत रंजीदा करता है यूँ ही बेकार हो जाना.  

.

जिन्हें मैं जोड़ने में रोज़ थोड़ा टूट जाता था

उन्हें भी रास आया है मेरा मिस्मार हो जाना.     (तक़ाबुले रदीफ़ स्वीकर करते हुए)

.

मेरी बातें वही…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on June 19, 2023 at 5:15pm — 6 Comments

ग़ज़ल नूर की - बनें जब तक बना कर हम रखेंगे इस ज़माने से

.

बनें जब तक बना कर हम रखेंगे इस ज़माने से

फिर इक दिन लौट जाएँगे चले थे जिस ठिकाने से.  

.

अँधेरे की हुकूमत यूँ तो चारों सिम्त फैली है

मगर वो काँप जाता है दीये के टिमटिमाने से.

.

तो फिर दरिया तो क्या मैं इक समुन्दर भी बहा देता

अगर बिछड़ा कोई मिलता हो अश्कों के बहाने से.

.

कई बरसों से मैं बस उन की ही महफ़िल में जाता हूँ

जिन्हें कुछ फ़र्क़ पड़ता हो मेरे आने न आने से.

.

बड़प्पन ये कि औरों से लकीर अपनी बड़ी रक्खें

नहीं बढ़ता किसी…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on June 14, 2023 at 1:00pm — 2 Comments

ग़ज़ल नूर की



बारहा साहिल की जानिब लह’र क्यूँ आती रही


सर पटकती पाँव पड़ती रोती चिल्लाती रही.

.

ओस में भीगे हुए इक गुल को नज़ला हो गया

देर तक तितली लिपटकर उस को गर्माती रही.

.

इक नदी की चाह में रोया समुन्दर ज़ार…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on May 22, 2023 at 1:08pm — 4 Comments

ग़ज़ल 'नूर' की - कोई हुस्न-परस्त जो अपने रब की बातें करता है

कोई हुस्न-परस्त जो अपने रब की बातें करता है

तिल की बातें करता है या लब की बातें करता है.

.

दिल तो फिर भी धड़कन धड़कन सब की बातें करता है

ज़ह’न है साहूकार फ़क़त मतलब की बातें करता है.

.

लड़ते लड़ते दुश्मन से भी हो जाता है इश्क़ अजब

जुगनू भी अक्सर दीये से शब् की बातें करता है.

.

इक मुद्दत से यार! चलन से बाहर है ये लफ़्ज़-ए-वफ़ा  

दिल नादान मुअर्रिख़ जैसा; कब की बातें करता है.                         मुअर्रिख़- इतिहास-कार…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on April 13, 2023 at 4:00pm — 6 Comments

ग़ज़ल नूर की- नहीं जो था होना वो सब हो रहा है

नहीं जो था होना वो सब हो रहा है

निज़ाम-ए-ख़ुदा में ग़ज़ब हो रहा है.

.

इबादत में कैसा शग़ब हो रहा है                  शग़ब- कोलाहल 

धड़क-कर ये दिल बे-अदब हो रहा है.

.

ज़रूरी नहीं कोई मक़सद हो अपना…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on March 2, 2023 at 5:44pm — 12 Comments

ग़ज़ल नूर की- दर्द है तो कभी दवा है ये



दर्द है तो कभी दवा है ये,

इश्क़ है या कि मोजज़ा है ये.

.

जो बिख़रने का सिलसिला है ये

ख़ुशबू होने ही की सज़ा है ये.

.

हम जो रोते हैं कुफ़्र होता है

मज़हब-ए-इश्क़ में मना है ये.

.

अपनी ताक़त को वो समझता है  

हुस्न के साथ मसअला है ये.

.

ख़त भला तेरा मैं जलाऊँगा?

आँसुओं से भभक गया  है ये.

.

हम तो फिरऔन इसको कहते हैं

ये समझता रहे ख़ुदा है ये. 

.

ग़म यहीं है यहीं कहीं होगा

तेरे देखे से छुप…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on September 29, 2022 at 11:30am — 17 Comments

ग़ज़ल नूर की- ज़ुल्फ़ों को ज़ंजीर बना कर बैठ गए

.

ज़ुल्फ़ों को ज़ंजीर बना कर बैठ गए

किस किस को हम पीर बना कर बैठ गए.

.

यादें हम से छीन के कोई दिखलाओ

लो हम तो  जागीर बना कर बैठ गए.  

.

दुनिया की तस्वीर बनानी थी हम को

हम तेरी तस्वीर बना कर बैठ गए.  

.

मौक़ा रख कर भेजा था नाकामी में

आप जिसे तक़दीर बना कर बैठ गए.

.

मैंने कॉपी में इक चिड़िया क्या मांडी

दुनिया वाले तीर बना कर बैठ गए.

.

चलती फिरती मूरत देख के हम नादाँ

मंदिर की तामीर बना कर बैठ गए.

.

हँसते…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on January 23, 2022 at 9:02am — 2 Comments

ग़ज़ल नूर की- कहीं ये उन के मुख़ालिफ़ की कोई चाल न हो

.

कहीं ये उन के मुख़ालिफ़ की कोई चाल न हो

सो चाहते हैं कि उन से कोई सवाल न हो.

.

कोई फ़िराक़ न हो और कोई विसाल न हो

उठे वो मौज कि अपना हमें ख़याल न हो.   

.

तेरी तलब में हमें वो मक़ाम पाना है

कि लुट भी जाएँ तो लुट जाने का मलाल न हो.

.

हमें सफ़र जो ये बख़्शा है क्या बने इसका

न हो उरूज अगर इस में या ज़वाल न हो.

.

बशर न हो तो ख़ुदा भी न हो जहाँ में कोई 

न हो जहाँ में ख़ुदा तो कोई वबाल न हो.

.

मैं चाहता हूँ ये दुनिया वहाँ…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on January 12, 2022 at 9:00am — 4 Comments

ग़ज़ल नूर की - उस के नाम पे धोखे खाते रहते हो

,

उस के नाम पे धोके खाते रहते हो

फिर भी उस के ही गुण गाते रहते हो.

.

उस के आगे बोल नहीं पाते हो तुम

मैं बोलूँ तो हाथ दबाते रहते हो.

.

कोई नया इस दुनिआ में कब आता है

तुम ही जा कर वापस आते रहते हो.

.

तुम को वापस अपने घर भी जाना है

क्यूँ दुनिआ से लाग  लगाते रहते हो.

.

अक्सर मिलता है वो इन्साँ पूजता है 

वो जिस को तुम ख़ुदा बताते रहते हो.

.

वाइज़ जी क्या तुम ने वो सब सीख लिया 

हम को जो कुछ तुम समझाते रहते…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on December 27, 2021 at 8:30am — 9 Comments

ग़ज़ल नूर की- कहीं से उड़ के परिन्दे कहीं पे उतरे हैं

कहीं से उड़ के परिन्दे कहीं पे उतरे हैं  

ख़ुदा से हो के ख़फ़ा हम ज़मीं पे उतरे हैं.

.

तुम्हारे ढब से मिली बारहा जो रुसवाई  

हर एक बात पे हाँ से नहीं पे उतरे हैं.

.

हमारी आँखों की झीलें भी इक ठिकाना है     

तुम्हारी यादों के सारस यहीं पे उतरे हैं.

.

हमारी फ़िक्र से नीचे फ़लक मुहल्ला है  

ये शम्स चाँद सितारे वहीं पे उतरे हैं.  

.

हज़ारों बार ज़मीं ने ये माथा चूमा है

उजाले सजदों के मेरे जबीं पे उतरे हैं.  

.

निलेश "नूर"…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on December 22, 2021 at 10:30pm — 10 Comments

ग़ज़ल नूर की --- ग़म-ए-फ़िराक़ से गर हम दहक रहे होते

.

ग़म-ए-फ़िराक़ से गर हम दहक रहे होते

तो आफ़ताब से बढ़कर चमक रहे होते.

.

बदन की सिगड़ी के शोलों पे पक रहे होते

वो मेरे साथ अगर सुब्ह तक रहे होते.

.

तेरी शुआओं को पीकर बहक रहे होते

मेरी हवस को मेरे होंट बक रहे होते.

.

सुकून मिलता हमें काश जो ये हो जाता

कि हम भी यार के दिल की कसक रहे होते.   

.

तेरी नज़र से उतरना भी एक नेमत है

वगर्न: आँखों में सब की खटक रहे होते.

.

लबों का रस हमें मिलता तो शह’द होते हम

अगर जो…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on December 10, 2021 at 6:31pm — 20 Comments

ग़ज़ल नूर की - मेरी ज़ीस्त की कड़ी धूप ने मुझे रख दिया है निचोड़ कर

.

मेरी ज़ीस्त की कड़ी धूप ने मुझे रख दिया है निचोड़ कर,

अभी शाम ढलने ही वाली थी कोई चल दिया मुझे छोड़ कर.

.

मैं था मुब्तिला किसी ख़ाब में किसी मोड़ पर ज़रा छाँव थी

उसे ये भी रास न आ सका सो जगा गया वो झंझोड़ कर.

.

मेरे दिल में अक्स उन्हीं का था उन्हें ऐतबार मगर न था 

कभी देखते रहे तोड़ कर कभी दिल की किरचों को जोड़ कर.   

.

जो  किताब ए ज़ीस्त में  शक्ल थी वो जो नाम था मुझे याद है  

वो जो पेज फिर न मैं पढ़ सका जो रखा था मैने ही मोड़ कर.  …

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on November 18, 2021 at 5:00pm — 8 Comments

ग़ज़ल नूर की - क्या ही तुझ में ऐब निकालूँ क्या ही तुझ पर वार करूँ

क्या ही तुझ में ऐब निकालूँ क्या ही तुझ पर वार करूँ

ये तो न होगा फेर में तेरे अपनी ज़ुबाँ को ख़ार करूँ.

.

हर्फ़ों से क्या नेज़े बनाऊँ क्या ही कलम तलवार करूँ

बेहतर है मैं ख़ुद को अपनी ग़ज़लों से सरशार करूँ.

.

ग़ालिब ही के जैसे सब को इश्क़ निकम्मा करता है

लेकिन मैं भी बाज़ न आऊँ जब भी करूँ दो चार करूँ.

.

चन्दन हूँ तो अक्सर मुझ से काले नाग लिपटते हैं

मैं भी शिव सा भोला भाला सब को गले का हार करूँ.

.

सब से उलझना तेरी फ़ितरत और मैं इक आज़ाद मनक…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on November 9, 2021 at 3:30pm — 10 Comments

ग़ज़ल नूर की - ज़ुल्म सहना छोड़ कर इन्कार करना सीख ले

ज़ुल्म सहना छोड़ कर इन्कार करना सीख ले

है अगर ज़िन्दा पलटकर वार करना सीख ले.   

.

एक नुस्ख़ा जो घटा देता है हर दुःख की मियाद

सच है जैसा वैसा ही स्वीकार करना सीख ले.

.

मज़हबों के खेल में होगी ये दुनिया और ख़राब 

अपने रब का दिल ही में दीदार करना सीख से.

.

तन है इक शापित अहिल्या चेतना के मार्ग पर

राम सी ठोकर लगा.. उद्धार करना सीख ले.

.

नफ़रतों की बलि न चढ़ जाए तेरी मासूमियत

मान इन्सानों को इन्सां प्यार करना सीख ले.

.

लग न…

Continue

Added by Nilesh Shevgaonkar on November 7, 2021 at 7:30pm — 15 Comments

ग़ज़ल नूर की - हाँ में हाँ मिलाइये

हाँ में हाँ मिलाइये
वर्ना चोट खाइए.
.
हम नया अगर करें
तुहमतें लगाइए.
.
छन्द है ये कौन सा
अपना सर खुजाइये
.
मीर जी ख़ुदा नहीं
आप मान जाइए.
.
कुछ नये मुहावरे
सिन्फ़ में मिलाइये.
.
कोई तो दलील दें
यूँ सितम न ढाइए.
.
हम नये नयों को अब
यूँ न बर्गलाइये.
.
नूर है वो नूर है
उस से जगमगाइए.    .
.
निलेश "नूर"
मौलिक/ अप्रकाशित 

Added by Nilesh Shevgaonkar on November 5, 2021 at 8:32pm — 9 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167
"स्वागतम"
2 hours ago
Mamta gupta joined Admin's group
Thumbnail

सुझाव एवं शिकायत

Open Books से सम्बंधित किसी प्रकार का सुझाव या शिकायत यहाँ लिख सकते है , आप के सुझाव और शिकायत पर…See More
13 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA updated their profile
14 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-167

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
15 hours ago
Mamta gupta and Euphonic Amit are now friends
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करते तभी तुरंग से, आज गधे भी होड़
"आ. भाई सत्यनारायण जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Wednesday
Dayaram Methani commented on अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी's blog post ग़ज़ल (ग़ज़ल में ऐब रखता हूँ...)
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, गुरु की महिमा पर बहुत ही सुंदर ग़ज़ल लिखी है आपने। समर सर…"
Tuesday
Dayaram Methani commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो
"आदरणीय निलेश जी, आपकी पूरी ग़ज़ल तो मैं समझ नहीं सका पर मुखड़ा अर्थात मतला समझ में भी आया और…"
Tuesday
Shyam Narain Verma commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करते तभी तुरंग से, आज गधे भी होड़
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर और उम्दा प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Oct 5
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"आदाब।‌ बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब तेजवीर सिंह साहिब।"
Oct 1
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी।"
Sep 30
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी। आपकी सार गर्भित टिप्पणी मेरे लेखन को उत्साहित करती…"
Sep 30

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service