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  • ईमान
    ---
    -नहीं,वह नहीं आता अब।
    -‎नहीं आतता या मना किया तूने?
    -‎हाँ, मैंने ही मना किया।
    -‎क्यूँ?
    -‎क्या मतलब?
    -‎अरे! आते-जाते रहता तो कुछ भेद पता चलता रहता।
    -‎क्या?
    -‎सत्ता पक्ष से हैं न। अंदर की बातें,और क्या?
    -‎पर मुझे उससे क्या?
    -‎मुझे तो फायदा होता न री करमजली।
    -‎सही कहा तुमने ---करमजली हूँ मैं।
    -‎बात मत पकड़ री छमिया! आजकल कुर्सी सुगबुगा रही है, उलट-फेर की संभावना है।
    -‎तो फिर?
    -‎आने दे मुंडे मौलवी को।राज पता कर कि उधर क्या पक रहा है।
    -‎कभी तुमने उसे मना करने को कहा था।
    -‎हाँ, वह तब की जरूरत थी।
    -‎और मेरे लिए यह अब की भी जरूरत है।
    -‎क्यूँ?
    -‎नासमझ नहीं हो तुम।मैंने तुम्हारे 'प्यार' में अपना धंधा तक बंद कर दिया और अब तुम ऐसी बातें करते हो।
    -‎मैंने तेरे जिस्म को बिकने से बचाया है।
    -‎कभी मियां ने भी मेरी आबरू बचाने की कसम ली थी।
    -‎फिर?
    -‎फिर क्या?जैसा तू,वैसा ही वो भी निकला।
    -‎अच्छा मेरी मान।अब उसकी टोह लेती रह जरा।
    -‎मैं ईमान नहीं बेच सकती,तेरी तरह।
    -‎क्या?
    -‎हाँ, कल से नहीं,आज से ही मेरा जिस्म बिकेगा,ईमान नहीं।चल निकल साले ...हरामी कहीं के',सलमा बिफर पड़ी। टुल्ल हुए नेताजी दुम दबाकर चलते बने।
    "मौलिक व अप्रकाशित"

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Comment by Manan Kumar singh on January 5, 2018 at 7:57am

शुक्रिया भाई लक्ष्मण जी।

Comment by Manan Kumar singh on January 5, 2018 at 7:56am

आभार आपका आदरणीय उस्मानीजी।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 5, 2018 at 6:54am

बहुत खूब...हार्दिक बधाई।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 4, 2018 at 9:52am

वाह। वर्तमान माहौल पर बढ़िया रोचक और कटाक्षपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।  थोड़ा और समय देकर आप इसे और संवार सकेंगे। सादर।

Comment by Manan Kumar singh on January 3, 2018 at 7:42pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय मुक्त जी।

Comment by Manan Kumar singh on January 3, 2018 at 7:42pm

आपका आभारी हूँ आदरणीया नीलम जी।

Comment by Neelam Upadhyaya on January 3, 2018 at 11:57am

आदरणीय मनन कुमार जी, क्या खूब कटाक्ष किया है आज की राजनीति पर । बधाई स्वीकार करें ।  

Comment by Manan Kumar singh on January 3, 2018 at 8:34am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय आरिफ जी,नमन।

Comment by Mohammed Arif on January 2, 2018 at 11:07pm

आदरणीय मनन कुमार जी आदाब,

              बहुत ही करारा कटाक्ष है । सबकुछ कह दिया आपने इशारों-इशारों में । आजकल हमारे देश में राजनीति कुछ इसी तरह संचालत हो रही है ।  हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

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