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अति सुंदर रचना के लिए आपको सहृदय बधाई स्वीकार हो
बेहद शुक्रगुज़ार हूँ आपके आशिर्वाद का .... आ0 दादा gajendra जी .... आ0 दादा अजय तिवारी जी .... आ0 दादा shaikh उस्मानी जी ..... सलामत रहिये ..... ख़ुश रहिये ..... स्वस्थ रहिये ......
बहुुुत उम्दा खयाल बुने हेै आ० पंकजोम जी । बहुुुत बधाई आपकाो इस ग़ज़ल के
लिए।
आदरणीय पंकज जी,
ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाईयाँ.
'यूँ तो वो मेरी ग़ज़ल पर " वाह " करता था नहीं' की जगह 'यूँ कभी मेरी ग़ज़ल पर दाद उसने दी न थी' भी एक संभावित मिसरा हो सकता है.
सादर
बहुत ही विचारोत्तेजक ग़ज़ल सृजन के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत मुबारकबाद मुहतरम जनाब पंकजोम ' प्रेम' साहिब।
बेहद शुक्रगुज़ार हूँ आपके आशिर्वाद का आ0 afroz shar जी ....
बेहद शुक्रगुज़ार हूँ आपके आशिर्वाद का आ0 दादा मनोज जी .... आ0 दादा dr पवन जी ....
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