For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वफ़ा के साथ यकीनन है वास्ता मेरा

1212 1122 1212 22
अलग है बात रखा नाम बेवफा मेरा ।।
वफ़ा के साथ यकीनन है वास्ता मेरा ।।

मेरे गुनाह का चर्चा है शह्र में काफी ।
तमाम लोग सुनाते हैं वाक्या मेरा ।।

नज़र नज़र से मिली और होश खो बैठा ।
उसे भी याद है उल्फत का हादसा मेरा ।।

वो आसुओं से भिगोते ही जा रहे दामन ।
पढा जो खत है अभी ,था वही लिखा मेरा ।

फ़िजा के पास रकीबों का हो गया पहरा ।
बढ़ा रही हैं हवाएं भी फ़ासला मेरा ।।

गरीब हूँ मैं शिकायत भी क्या करूँ उनकी ।
लड़ेगा कौन रियासत से मुकद्दमा मेरा ।।

अदालतों से मुहब्बत की बात मत कीजै ।
मेरे ज़मीर से होगा ये फैसला मेरा ।।

ये दिल सभाल के रखना, मेरी अमानत है ।
करेंगे याद कभी आप फलसफा मेरा ।।

ज़माना ढूढ रहा है तेरी निशानी को ।
कफ़न उठा के न चेहरा कहीं दिखा मेरा ।।

--नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 428

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SALIM RAZA REWA on October 6, 2017 at 9:36pm

नवीन मणि त्रिपाठी जी
ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए मुबारक़बाद।

Comment by Samar kabeer on October 6, 2017 at 2:37pm
जब मिसरा पढ़ने में रुकावट यानी गुनगुनाने में न आये ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on October 6, 2017 at 12:39pm
आ0 कबीर सर नमन फ़ज़ा पे आज कर ले रहा हूँ । बह्र दोष तो मुझे नही लगा पर यह लय दोष क्या है कृपया संक्षिप्त में बताने का कष्ट करें ।
Comment by Samar kabeer on October 5, 2017 at 12:12pm
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।

'फ़िज़ा के पास रक़ीबों का हो गया पहरा'इस शैर में तक़ाबुल-ए-रदीफ़ का दोष है,और 'फ़िज़ा के पास'नहीं "फ़ज़ा पे आज" ।
'लड़ेगा कौन रियासत से मुक़द्दमा मेरा'
ये मिसरा लय में नहीं है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service