For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'महब्बत कर किसी के संग हो जा'

मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन फ़ऊलुन

हिमाक़त छोड़ दे फ़रहंग हो जा
महब्बत कर किसी के संग हो जा

ग़ज़ल मेरी सुना लहजे में अपने
मैं गूँगा हूँ मेरा आहंग हो जा

यहाँ घुट घुट के मरने से है बहतर
निकल मैदाँ में मह्व-ए-जंग हो जा

करे अपना के दुनिया फ़ख़्र जिस पर
वफ़ा का वो निराला ढंग हो जा

चढ़े इक बार जिस पर फिर न उतरे
महब्बत का तू ऐसा रंग हो जा

ये दुनिया सीधे साधों की नहीं है
उदासी छोड़ शौख़्-ओ-शंग हो जा

जुदा ता उम्र कोई कर न पाए
"समर"के जिस्म का वो अंग हो जा
-----/
फ़रहंग-दानाई- बुद्धिमानी(उर्दू की एक लुग़ात का नाम )
आहंग-आवाज़
मह्व-ए-जंग-युद्ध में डूबना(लेकिन ये युद्ध तलवार वाला नहीं )
फ़ख़्र-गर्व
शौख़-ओ-शंग-चंचल,चालाक
समर कबीर
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 1200

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on July 25, 2017 at 2:44pm
जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on July 25, 2017 at 2:42pm
जनाब अशोक कुमार रक्ताले जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on July 25, 2017 at 2:40pm
जनाब बसंत कुमार शर्मा जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये शुक्रिया ।
Comment by Samar kabeer on July 25, 2017 at 2:39pm
जनाब मोहित मिश्रा(मुक्त)साहिब आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
Comment by Samar kabeer on July 25, 2017 at 2:37pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,//सर ये महब्बत कहीं मोहब्बत तो नहीं?//
जी हाँ ये वही है, अस्ल में इसका सही तलफ़्फ़ुज़(उच्चारण)"महब्बत"ही है, जिसे हम लोग कभी 'मोहब्बत' तो कभी 'मुहब्बत' लिख देते हैं,लेकिन सही शब्द "महब्बत" ही है ।
ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
Comment by Samar kabeer on July 25, 2017 at 2:30pm
जनाब गुरप्रीत सिंह जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on July 25, 2017 at 2:28pm
जनाब रवि शुक्ला जी आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और दाद-ओ-तहसीन के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on July 25, 2017 at 2:26pm
जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब आदाब,ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on July 24, 2017 at 10:29pm

मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब आदाब , बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हुई है , दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल
फरमाएँ

Comment by Ashok Kumar Raktale on July 24, 2017 at 10:05pm

आदरणीय समर कबीर साहब सादर नमस्कार, बहुत खूबसूरत गजल कही है आपने. बहुत मुबारकबाद कुबूलें. सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक ..रिश्ते
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
18 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-167

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 167 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है ।इस बार का…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service