For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जाम ... (एक प्रयास)

जाम ... (एक प्रयास)
२१२२ x २

शाम भी है जाम भी है
वस्ल का पैग़ाम भी है।l
हाल अपना क्या कहें अब
बज़्म ये बदनाम भी है।l
हम अकेले ही नहीं अब
संग अब इलज़ाम भी है।l
बाम पर हैं वो अकेले
सँग सुहानी शाम भी है।l
ख़्वाब डूबे गर्द में सब
संग रूठा गाम भी है।l
ख़ौफ़ क्यूँ है अब अजल से
हर सहर की शाम भी है ll
होश में आएं भला क्यूँ
संग यादे जाम भी है !l


सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 906

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on July 24, 2017 at 1:55pm

आदरणीय रवि शुक्ला जी मेरे प्रयास को आपका आशीर्वाद सँग मार्दर्शन मिला , सृजन सफल हो गया।  आपके द्वारा इंगित त्रुटियों से मैं सहमत हूँ और उन्हें दुरुस्त किये देता हूँ।  इन बारीकियों से अवगत कराना और उनका निदान बताना ही इस मंच की और मंच के वरिष्ठ गुरुजनों की  विशेषता है।  प्रस्तुति की प्रशंसा एवं सुझाव के लिए बंदा आपका तहे दिल से शुक्रिया अदा  करता है। सादर नमन सर। 

Comment by Gurpreet Singh jammu on July 24, 2017 at 1:51pm

वाह वाह आदरणीय सुशील सरना जी। ..ग़ज़ल में भी कमाल क्र दिया है आपने,,बहुत खूबसूरत 

Comment by Ravi Shukla on July 24, 2017 at 1:03pm

आदरणीय सुशील जी क्‍या कहने आपके प्रयास को देख कर बहुत अच्‍छा लगा  अच्‍छी गजल है बधाई

संग सुहानी शाम भी है इस मिसरे को सँग सुहानी शाम भी है करने से मिसरा बहर में हो जाएगा संग और सँग का अंतर है । और बाम पर है वो अकेली को बाम पर हैं वो अकेले किया जाना शायद उचित होगा गजल इशारे की विधा है । सादर

Comment by Sushil Sarna on July 23, 2017 at 8:57pm

आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहिब ग़ज़ल पर आपकी ऊर्जावान   प्रशंसा ने सृजन को जो मान दिया उसके लिए बंदा आपका शुक्रगुज़ार है।  बाकी आपका सुझाव सहज स्वीकार्य है।  मैं इसे अभी दुरुस्त कर प्रेषित करता हूँ। हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on July 23, 2017 at 8:51pm

आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब मेरे प्रयास को आपका आशीर्वाद मिला , मेहनत सफल हुई। ... आपका कहा बिलकुल ठीक हैं। .... हैं का होना गलत है।  इस और ध्यान  दिलाने का शुक्रिया।  आदरणीय तस्दीक अहमद साहिब के अनुसार इसको रूठा गाम है करने से ये ठीक हो जाएगा।  मैं इसे अभी दुरुस्त करता हूँ। 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on July 23, 2017 at 7:06pm
मुहतरम जनाब सुशील सरना साहिब ,वाह, वाह एक प्रयास -बन गया ख़ास, सुन्दर ग़ज़ल ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें ,शेर 5 के सानी मिसरा यूँ कर सकते हैं ----संग रूठा गाम भी है ।
Comment by Samar kabeer on July 23, 2017 at 5:02pm
जनाब सुशील सरना जी आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

'ख़्वाब डूबे गर्द में सब
संग रूठे गाम भी हैं'
आपकी रदीफ़ 'भी है' और इस शैर में "भी हैं',देखियेगा ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 22, 2017 at 7:20pm

सादर धन्यवाद् आदरणीय मतलब बताने के लिए | 

Comment by Sushil Sarna on July 22, 2017 at 7:02pm

आदरणीया कल्पना भट्ट जी ग़ज़ल को अपनी मधुर प्रतिक्रिया से मान देने का हार्दिक आभार। रूठे गाम अर्थात रूठे कदम। 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 22, 2017 at 5:52pm

संग रूठे गाम भी हैं।l आदरणीय रचना बहुत सुंदर हुई है जिसके लिए आपको बधाई | इस पंक्ति का क्या मतलब हुआ कृपया बताएं | सादर |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"अनुज बृजेश , प्रेम - बिछोह के दर्द  केंदित बढ़िया गीत रचना हुई है , हार्दिक बधाई आदरणीय…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय रवि भाई  ग़ज़ल पर उपस्थिति  हो  उत्साह वर्धन  करने के लिए आपका…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"अनुज बृजेश ,  ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका आभार , मेरी कोशिश हिन्दी शब्दों की उपयोग करने की…"
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय अजय भाई ,  ग़ज़ल पर उपस्थिति हो  उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
11 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आ. नीलेश भाई ग़ज़ल पर उपस्थिति और उत्साह वर्धन के लिए आपका आभार "
11 hours ago
Ravi Shukla commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"आदरणीय अजय जी किसानों को केंद्र में रख कर कही गई  इस उम्दा गजल के लिए बहुत-बहुत…"
yesterday
Ravi Shukla commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आदरणीय नीलेश जी, अच्छी  ग़ज़ल की प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें. अपनी टिप्पणी से…"
yesterday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाई जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छी प्रयास है । आप को पुनः सृजन रत देखकर खुशी हो रही…"
yesterday
Ravi Shukla commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय बृजेश जी प्रेम में आँसू और जदाई के परिणाम पर सुंदर ताना बाना बुना है आपने ।  कहीं नजर…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागाअर्थ प्रेम का है इस जग मेंआँसू और जुदाईआह बुरा हो कृष्ण…See More
Thursday
Deepak Kumar Goyal is now a member of Open Books Online
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service