जाम ... (एक प्रयास)
२१२२ x २
शाम भी है जाम भी है
वस्ल का पैग़ाम भी है।l
हाल अपना क्या कहें अब
बज़्म ये बदनाम भी है।l
हम अकेले ही नहीं अब
संग अब इलज़ाम भी है।l
बाम पर हैं वो अकेले
सँग सुहानी शाम भी है।l
ख़्वाब डूबे गर्द में सब
संग रूठा गाम भी है।l
ख़ौफ़ क्यूँ है अब अजल से
हर सहर की शाम भी है ll
होश में आएं भला क्यूँ
संग यादे जाम भी है !l
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय रवि शुक्ला जी मेरे प्रयास को आपका आशीर्वाद सँग मार्दर्शन मिला , सृजन सफल हो गया। आपके द्वारा इंगित त्रुटियों से मैं सहमत हूँ और उन्हें दुरुस्त किये देता हूँ। इन बारीकियों से अवगत कराना और उनका निदान बताना ही इस मंच की और मंच के वरिष्ठ गुरुजनों की विशेषता है। प्रस्तुति की प्रशंसा एवं सुझाव के लिए बंदा आपका तहे दिल से शुक्रिया अदा करता है। सादर नमन सर।
वाह वाह आदरणीय सुशील सरना जी। ..ग़ज़ल में भी कमाल क्र दिया है आपने,,बहुत खूबसूरत
आदरणीय सुशील जी क्या कहने आपके प्रयास को देख कर बहुत अच्छा लगा अच्छी गजल है बधाई
संग सुहानी शाम भी है इस मिसरे को सँग सुहानी शाम भी है करने से मिसरा बहर में हो जाएगा संग और सँग का अंतर है । और बाम पर है वो अकेली को बाम पर हैं वो अकेले किया जाना शायद उचित होगा गजल इशारे की विधा है । सादर
आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहिब ग़ज़ल पर आपकी ऊर्जावान प्रशंसा ने सृजन को जो मान दिया उसके लिए बंदा आपका शुक्रगुज़ार है। बाकी आपका सुझाव सहज स्वीकार्य है। मैं इसे अभी दुरुस्त कर प्रेषित करता हूँ। हार्दिक आभार।
आदरणीय समर कबीर साहिब, आदाब मेरे प्रयास को आपका आशीर्वाद मिला , मेहनत सफल हुई। ... आपका कहा बिलकुल ठीक हैं। .... हैं का होना गलत है। इस और ध्यान दिलाने का शुक्रिया। आदरणीय तस्दीक अहमद साहिब के अनुसार इसको रूठा गाम है करने से ये ठीक हो जाएगा। मैं इसे अभी दुरुस्त करता हूँ।
सादर धन्यवाद् आदरणीय मतलब बताने के लिए |
आदरणीया कल्पना भट्ट जी ग़ज़ल को अपनी मधुर प्रतिक्रिया से मान देने का हार्दिक आभार। रूठे गाम अर्थात रूठे कदम।
संग रूठे गाम भी हैं।l आदरणीय रचना बहुत सुंदर हुई है जिसके लिए आपको बधाई | इस पंक्ति का क्या मतलब हुआ कृपया बताएं | सादर |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online