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वो हमारा आइना हो जाएगा ।

2122 2122 212

वो हमारा आइना हो जाएगा ।
सच कहूँ दिल का खुदा हो जाएगा ।

हैं विचाराधीन सारे जुर्म क्यों ।
वह इलेक्शन में खड़ा हो जाएगा ।।

देखना तुम भी इसी बाजार में ।
सच भी कोई मकबरा हो जाएगा ।।

फैसले होंगे उसी के हक़ में अब ।
हाकिमों से मशबरा हो जाएगा ।।

इस सियासत में कोई जल्लाद भी ।
जिंदगी का रहनुमा हो जाएगा ।।

फिर कहर ढाने लगा है वह शबाब ।
हुस्न पर कोई फ़ना हो जाएगा ।।

शरबती आंखों की हरकत देख कर ।
यह मुसाफ़िर गमज़दा हो जाएगा ।।

रिंद चर्चा कर रहे हैं आपकी ।
आपका घर मैकदा हो जाएगा ।।

चन्द लम्हा ही सही पर एक दिन ।
तू हमारा हौसला हो जाएगा ।।

बेवफा पर कर लिया मैंने यकीन ।
क्या खबर थी बावफ़ा हो जाएगा ।।


नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित
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Comment

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Comment by Naveen Mani Tripathi on July 16, 2017 at 6:21pm
आ0 मुहम्मद आरिफ साहब सादर आभार ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on July 16, 2017 at 6:19pm
आ0 कल्पना भट्ट जी सादर आभार ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on July 16, 2017 at 6:19pm
आ0रवि शुक्ला जी सादर आभार ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on July 16, 2017 at 6:18pm
आ0 लक्ष्मण धामी साहब सादर आभार
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on July 16, 2017 at 4:34pm

सुंदर ग़ज़ल कही है आपने आदरणीय नविन मणि जी हार्दिक बधाई |

Comment by Ravi Shukla on July 11, 2017 at 2:36pm

आदरणीय नवीन मणि जी बहुत बढि़या अशआर कहे आपने दिली बधाई स्‍वीकार करें

हैं विचाराधीन सारे जुर्म क्यों ।
वह इलेक्शन में खड़ा हो जाएगा ।। अच्‍छी चेतावनी दी है आपने

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 10, 2017 at 11:13pm
आ.नवीनमणि जी सुन्दर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।
Comment by Mohammed Arif on July 10, 2017 at 2:12pm
वो हमारा आइना हो जाएगा ,
सच कहूँ दिल का खुदा हो जाएगा । वाह!वाह!! बहुत ख़ूब ।
शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी ।

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