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शिक्षा सबके लिए ( लघुकथा)

" तुम मुझे रोज़ लेने आ जाती हो , मेरे बाबा मुझे डाँटते है । उनको लगता है मैं आलसी हूँ , स्कूल नहीं जाना चाहती । " शीला ने अपनी सहेली मीना से कहा ।

" हाहा हाहा , सही तो कहते है तुम्हारे बाबा , पढ़ाई चोर तो तुम हो ही , जब देखो तुम्हारी कॉपियां अधूरी रहती है ...।" मीना ने हंसकर कहा

" धत्त , कोई नहीं झूठी मेरी कॉपियां तो पूरी होती है , वो तो ....... वो तो ........."अपनी माँ की तरफ़ देखकर शीला चुप हो गयी ।

मीना यह बात जानती थी कि शीला की माँ को शीला का स्कूल जाना पसंद नहीं था । सुना था उनको किसीने नहीं पढ़ने दिया था , जब भी पढ़ाई की बात करती थी उनको मार पड़ती थी । पहले पहले तो वह लोगो पर नाराज़ होतीं थी फिर धीरे धीरे उनको किताबों से ही नफरत हो गयी थी । शीला का पढ़ना , उनसे जाने क्यों बरदाश्त नहीं होता था । " ऐसी भी माँ होती है ...." मीना ने दुखी मन से शीला से पूछा ।

शीला कुछ न बोल पायी । इतने में शीला के पिताजी आये उनके हाथ में कुछ कागज़ थे , शीला के पूछने पर उन्होंने बताया कि ," बिटिया वो मास्टरजी कह रहे थे कि अपने गाँव में हम जैसे बड़ों को भी पढ़ाया जायेगा तो मैं फॉर्म ले आया हूँ । मेरा और तेरी माँ का अंगूठा लगाकर कल मास्टरजी को वापिस दे दूंगा । अब मैं और तुम्हारी माँ भी पढ़ेंगे । "

मीना ने यह सुनकर कहा , " शीला अब तो हंस दे , देख अब तो माँ भी जाएँगी पढ़ने " और फिर हंस दी - " कल से मेरी माँ तुम्हारी माँ को स्कूल ले जाया करेंगी बिलकुल मेरी तरह । "

शीला का हाथ मीना ने कस कर पकड़ लिया । पढ़ाई अब हर घर में नज़र आयेगी ।

माँ के चहरे पर परिवर्तन आ रहा था । उनके लाल चेहरा अब ख़ुशी से लाल हो रहा था ।

मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 2, 2017 at 3:53pm
Dhanyawad vijay nikore ji
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 2, 2017 at 3:52pm
Sadar dhanywad Satvinder bhaiya
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 2, 2017 at 3:52pm
Dhanywad Adarniya Mahendra kumar ji
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 2, 2017 at 3:51pm
Hardik dhanywad Aadarniya Samar bhai ji
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on June 2, 2017 at 3:51pm
Sadar dhanyawad Adarniya mohammad arif ji
Comment by vijay nikore on May 16, 2017 at 1:33pm

अच्छा संदेश देती इस लघु कथा के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on May 15, 2017 at 5:52pm
आदरणीया कल्पना दी,शिक्षा के महत्व को दर्शाती बढ़िया प्रस्तुति हुई है,सादर हार्दिक बधाई
Comment by Mahendra Kumar on May 15, 2017 at 8:58am

शिक्षा ग्रहण करने की कोई उम्र नहीं होती. इस सार्थक सन्देश को देती बढ़िया लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए आदरणीया कल्पना जी. सादर. 

Comment by Samar kabeer on May 14, 2017 at 10:15pm
मोहतरमा कल्पना भट्ट साहिबा आदाब,बहुत अच्छा पैग़ाम दे रही है आपकी लघुकथा,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Mohammed Arif on May 14, 2017 at 7:55am
आदरणीया कल्पना भट्ट जी आदाब, शिक्षा के महत्त को रेखांकित करती संदेशप्रद कथा के लिए ढेरों बधाईयाँ स्वीकार करें ।

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